

जयपुर: राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने सोमवार को अपेक्स यूनिवर्सिटी के तृतीय दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत न्यूटन से बहुत पहले भारत में भास्कराचार्य द्वारा बताया गया था। उन्होंने कहा, “हमने अब तक यही पढ़ा है कि गुरुत्वाकर्षण की थ्योरी न्यूटन ने दी थी। न्यूटन ने 1530 के आसपास इस पर शोध किया, लेकिन इससे लगभग 400 वर्ष पहले, वर्ष 1150 में, भारतीय गणितज्ञ और खगोलशास्त्री भास्कराचार्य ने अपनी पुस्तक ‘लीलावती’ में गुरुत्वाकर्षण की अवधारणा का उल्लेख किया था।”
राज्यपाल ने बताया कि भास्कराचार्य की पुत्री लीलावती ने एक बार उनसे पूछा था, “बाबा, आप कहते हैं सूर्य स्थिर है और पृथ्वी तथा चंद्रमा उसके चारों ओर घूमते हैं। फिर ये सब गिरते क्यों नहीं हैं?” इस पर भास्कराचार्य ने उत्तर दिया था कि ये एक-दूसरे को आकर्षण शक्ति से खींचकर रखते हैं, इसी कारण ये अपनी-अपनी कक्षाओं में स्थिर रहते हैं। राज्यपाल ने कहा कि यह सिद्धांत गुरुत्वाकर्षण के समान ही है और यह प्रमाणित करता है कि भारतीय विद्वानों ने वैज्ञानिक अवधारणाओं पर बहुत पहले ही कार्य किया था।
राज्यपाल ने नई शिक्षा नीति की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह भारतीयता से परिपूर्ण संस्कारमय समाज के निर्माण में सहायक है। उन्होंने शिक्षकों से आग्रह किया कि वे नवीनतम ज्ञान से अद्यतन रहें और आदर्श आचरण प्रस्तुत करें। छात्रों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में प्राप्त शिक्षा का उपयोग वे ‘विकसित भारत’ के निर्माण में करें।
उन्होंने वर्तमान शिक्षा प्रणाली की कमियों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “कॉपी करके पास हो जाना या केवल रटना ही शिक्षा नहीं है। शिक्षा का उद्देश्य विद्यार्थियों की बौद्धिक क्षमता को विकसित करना और उन्हें सोचने-समझने की स्वतंत्रता देना है।”
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राज्यपाल ने यह भी कहा कि पहले हिंदी वर्णमाला में ‘ग’ से ‘गणपति’ पढ़ाया जाता था, लेकिन बाद में कुछ लोगों ने इसे धार्मिक मानकर आपत्ति जताई और इसके स्थान पर ‘गधा’ पढ़ाना शुरू कर दिया। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की सोच रखने वाले ही पाठ्यपुस्तकों का निर्माण करते थे।
समारोह के अंत में राज्यपाल ने सभी छात्रों को शुभकामनाएं देते हुए उनसे भारत के उज्ज्वल भविष्य के निर्माण में भागीदारी निभाने का आह्वान किया।