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बीकानेर

जैसलमेर की जलधारा से जुड़े रहस्य की होगी वैज्ञानिक जांच, डेनमार्क देगा साथ

editor
editor Published May 18, 2025
Last updated: 2025/05/18 at 1:40 PM
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सरस्वती नदी के अस्तित्व की खोज में जुटा भारत, जैसलमेर में भूगर्भीय रिसर्च करेगा डेनमार्क

सरस्वती नदी के संभावित प्रवाह मार्ग की पुष्टि के लिए केंद्र सरकार और राज्य एजेंसियां एक नई वैज्ञानिक मुहिम शुरू कर रही हैं। इसमें उन इलाकों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है, जहां हाल ही में जमीन से अचानक जलधारा फूटी थी। जैसलमेर ऐसे प्रमुख क्षेत्रों में शामिल है, जहां जलधारा निकलने की घटनाएं दर्ज की गई थीं।

इस शोध में डेनमार्क की सरकार भी भारत की मदद करेगी। इसके लिए डेनमार्क के वैज्ञानिकों और जल विशेषज्ञों के साथ केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (CAZRI) और राजस्थान जल संसाधन विभाग मिलकर कार्य करेंगे। हाल ही में जयपुर में हुए ‘राइजिंग राजस्थान इन्वेस्टमेंट ग्लोबल समिट’ के दौरान डेनमार्क दूतावास और जल विभाग के बीच एक समझौता (MoU) भी हुआ है।

क्यों महत्वपूर्ण है यह रिसर्च?
जल संसाधन विभाग के अधिकारियों का मानना है कि सरस्वती नदी का मूल मार्ग संभवतः समय के साथ स्थानांतरित हो गया है। जिन क्षेत्रों में जमीन से जलधाराएं फूटी हैं, वे इस नदी के पुराने प्रवाह चैनल हो सकते हैं। चूंकि इन क्षेत्रों के पास से कोई अन्य प्रमुख नदी नहीं बहती, इसलिए यह संभावना और मजबूत हो जाती है कि वहां कोई पेलियो-चैनल (प्राचीन नदी मार्ग) मौजूद है।

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डीपीआर तैयार होगी, बांधों की होगी जांच
इस परियोजना के अंतर्गत जैसलमेर के तीन प्रमुख जलाशयों — गड़ीसर, बड़ाबाग और अमरसागर-मूलसागर — की भी स्टडी की जाएगी। अध्ययन का उद्देश्य यह जानना है कि इन जलाशयों में स्वच्छ पानी की आवक कैसे बढ़ाई जा सकती है। इसके लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) तैयार की जाएगी।

काम का स्वरूप और तकनीक

  • रिमोट सेंसिंग और GIS तकनीक के जरिए पूरे इलाके का भूगर्भीय सर्वे होगा।

  • संभावित पेलियो-चैनलों की पहचान की जाएगी।

  • अंतर-बेसिन जल हस्तांतरण की संभावनाएं तलाशी जाएंगी।

  • सभी संबंधित विभाग मिलकर एक समन्वित रणनीति के तहत कार्य करेंगे।

  • पुनरुद्धार के लिए चरणबद्ध कार्ययोजना और विस्तृत अध्ययन किया जाएगा।

यह निर्णय हाल ही में जयपुर में बिरला विज्ञान अनुसंधान संस्थान में हुई हरियाणा सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड की बैठक में लिया गया था। इस पहल से न सिर्फ सरस्वती नदी के अस्तित्व पर प्रकाश पड़ सकता है, बल्कि रेगिस्तानी इलाकों में जल संकट के समाधान की दिशा में भी अहम कदम साबित हो सकता है।


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editor May 18, 2025
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