


आतंक पर भारत की सख्ती: दिल्ली से हैदराबाद तक तुर्की के खिलाफ एक्शन
भारतीय सेना के ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान का साथ देने पर तुर्की के खिलाफ देशभर में आक्रोश तेज हो गया है। इसी क्रम में दिल्ली की जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) और जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के बाद अब हैदराबाद की मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी (MANUU) ने भी तुर्की के साथ अपने शैक्षणिक संबंध समाप्त कर दिए हैं।
क्या है मामला?
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों पर हुए आतंकी हमले के बाद भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की। इस दौरान तुर्की ने पाकिस्तान का पक्ष लेते हुए उसकी आतंक समर्थक नीति का अप्रत्यक्ष समर्थन किया। इस रुख के खिलाफ भारत में तुर्की के प्रति तीव्र नाराजगी देखी जा रही है।
सबसे पहले जेएनयू ने फरवरी 2025 तक के लिए इनोनू यूनिवर्सिटी (तुर्की) के साथ किया गया एमओयू निलंबित कर दिया। इसके अगले ही दिन जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी ने भी तुर्की सरकार से जुड़े सभी संस्थानों के साथ किए गए समझौतों को रद्द करने की घोषणा की।
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अब इस कड़ी में हैदराबाद की मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी (MANUU) ने जनवरी 2024 में तुर्की के युनुस एमरे संस्थान के साथ हुए एमओयू को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया है। इस समझौते के तहत विश्वविद्यालय में तुर्की भाषा का एक डिप्लोमा कोर्स शुरू किया गया था और तुर्की से एक अतिथि प्रोफेसर को भी आमंत्रित किया गया था। विश्वविद्यालय ने न केवल समझौता रद्द किया, बल्कि तुर्की के प्रोफेसर को भी वापस भेज दिया है।

देशभर में तुर्की के खिलाफ विरोध
भारत में तुर्की के खिलाफ गुस्सा केवल शैक्षणिक संस्थानों तक सीमित नहीं है। जब तुर्की में 2023 में भूकंप आया था, तब भारत ने मानवीय सहायता भेजी थी। बावजूद इसके, तुर्की द्वारा पाकिस्तान का समर्थन देश की जनता को खटका।
स्वदेशी जागरण मंच जैसे संगठनों ने तुर्की के उत्पादों और पर्यटन का बहिष्कार करने की मांग शुरू कर दी। गाजियाबाद, गुजरात और अन्य राज्यों के व्यापारियों ने तुर्की से मंगाए फल और अन्य सामान के ऑर्डर वापस ले लिए हैं।
सरकार ने भी तुर्की की ग्राउंड हैंडलिंग कंपनी Celebi Airport Services India Pvt. Ltd. की सुरक्षा मंजूरी रद्द कर दी है, जो भारत के प्रमुख हवाई अड्डों पर कार्यरत थी। साथ ही, ऑनलाइन ट्रैवल प्लेटफॉर्म्स ने तुर्की यात्रा से बचने की सलाह दी है और उससे जुड़ा प्रचार रोक दिया है।
भारत ने स्पष्ट संदेश दे दिया है कि जो देश आतंक का समर्थन करेंगे, उनके साथ किसी भी क्षेत्र में सहयोग संभव नहीं होगा – चाहे वह शिक्षा हो, व्यापार हो या पर्यटन।