


नई दिल्ली। पाकिस्तान के लिए बलूचिस्तान लंबे समय से एक असंतोष का केंद्र रहा है। अब स्थिति और गंभीर हो गई है, जब बलूच नेता मीर यार बलूच ने बलूचिस्तान को स्वतंत्र राष्ट्र घोषित कर दिया और खुद को उसका पहला राष्ट्रपति बताया।
बलूच नेता मीर यार बलूच ने दुनिया के देशों से बलूचिस्तान की स्वतंत्रता को मान्यता देने की अपील की है, लेकिन सबसे पहले वे भारत से समर्थन चाहते हैं। उन्होंने कहा कि भारत यदि बलूचिस्तान को मान्यता देता है, तो इससे बलूच आंदोलन को वैश्विक स्तर पर मजबूती मिलेगी।
बलूच नेताओं ने डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ बलूचिस्तान को स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में पहचान दिलाने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मुद्रा, पासपोर्ट और संसाधनों में सहयोग मांगा है। उन्होंने भारत में बलूचिस्तान का दूतावास खोलने की भी मांग रखी है।
भारत से पहले मान्यता क्यों चाहता है बलूचिस्तान?
बलूच नेताओं का मानना है कि भारत-पाकिस्तान के बीच वर्षों से चले आ रहे तनाव और हाल के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसी घटनाओं के बाद भारत का समर्थन पाकिस्तान के लिए एक बड़ा झटका होगा। बलूच नेताओं ने सोशल मीडिया पर भारत के प्रति अपने समर्थन और दोस्ती को भी स्पष्ट रूप से व्यक्त किया है।
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बलूच नेता कश्मीर मुद्दे पर भारत के साथ
बलूच नेता कश्मीर मुद्दे पर भी भारत के रुख के समर्थन में हैं। उन्होंने पाकिस्तान से पीओके खाली करने की मांग की है। उनका मानना है कि यदि भारत बलूचिस्तान को समर्थन देता है, तो अन्य देश भी बलूचिस्तान को स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता देने को प्रेरित हो सकते हैं।

भारत को बलूचिस्तान का समर्थन देने से क्या लाभ?
भारत यदि बलूचिस्तान को स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता देता है, तो यह पाकिस्तान के लिए बड़ा रणनीतिक झटका होगा। इससे पाकिस्तान का ध्यान भारत से हटकर बलूचिस्तान पर केंद्रित हो सकता है।
बलूचिस्तान की स्वतंत्रता से पाकिस्तान की भौगोलिक और आर्थिक स्थिति प्रभावित होगी। इसके अलावा, यह भारत के लिए भी सामरिक दृष्टि से फायदेमंद होगा — विशेष रूप से चाबहार पोर्ट परियोजना और अरब सागर में भारत की स्थिति को और मजबूत कर सकता है।
निष्कर्ष:
बलूचिस्तान का भारत से समर्थन मांगना एक अहम अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक घटनाक्रम है। यह केवल पाकिस्तान के लिए चुनौती नहीं, बल्कि भारत के लिए भी एक बड़ा रणनीतिक अवसर बन सकता है।