

बीकानेर में नहरबंदी खत्म, फिर भी जल संकट गहराया, पश्चिमी क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित
बीकानेर। नहरबंदी खत्म होने के बावजूद बीकानेर के कई क्षेत्रों में पानी की समस्या बरकरार है, विशेष रूप से पश्चिमी विधानसभा क्षेत्र में संकट की आशंका जताई जा रही है। राजस्थान को पानी देने का फैसला तो हो गया, लेकिन पंजाब सरकार के रवैये के कारण पानी समय पर नहीं पहुंच पाया।
दरअसल, पौंग डैम से राजस्थान के लिए 6000 क्यूसेक और हरिके बैराज से 1600 क्यूसेक पानी छोड़ा गया, लेकिन पंजाब ने हरिके बैराज से सीधे राजस्थान की नहरों में पानी न देकर उसे सरहिंद फीडर में मोड़ दिया, जिससे वहां की जरूरतें पूरी हो सकें। नतीजा यह रहा कि पानी पहले भाखड़ा परियोजना पहुंचा और अब वहां से राजस्थान को आपूर्ति हो रही है। इस प्रक्रिया में देरी के कारण बीकानेर तक पानी पहुंचने में छह दिन और लग सकते हैं, जबकि सामान्यतः यह दूरी दो दिन में तय होती है।
शोभासर जलाशय में घटता जलस्तर
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फिलहाल शोभासर जलाशय में केवल 2.87 मीटर पानी शेष है और प्रतिदिन 23 से 25 सेंटीमीटर की दर से जलस्तर घट रहा है। इसका अर्थ है कि जलाशय में लगभग 8 से 9 दिन का ही पानी बचा है। यदि बुधवार तक हरिके से पानी की आपूर्ति नहीं बढ़ी, तो पश्चिमी बीकानेर में गंभीर जल संकट की स्थिति बन सकती है।
नहर विभाग का दावा है कि छह दिन में पानी पहुंच जाएगा। पीएचईडी विभाग आपातकालीन स्थिति को ध्यान में रखते हुए 2 से 3 दिन का पानी आरक्षित रखना चाहता है ताकि किसी प्रकार की देरी की स्थिति में एक दिन छोड़कर आपूर्ति कर 4 से 5 दिन तक और गुजारा किया जा सके।

हरिके से आने वाला पानी सबसे पहले आरडी 750 पर पहुंचेगा, वहां से गजनेर लिफ्ट होते हुए कानासर वितरिका के माध्यम से शोभासर जलाशय पहुंचेगा। लेकिन बुधवार सुबह तक हरिके का गेज मात्र 1000 क्यूसेक दर्ज किया गया, जिससे पानी आगे नहीं बढ़ पा रहा।
पूर्वी बीकानेर में स्थिति बेहतर, लेकिन लापरवाही बरकरार
पूर्व विधानसभा क्षेत्र में जलापूर्ति सामान्य हो गई है। पानी की पूर्व किल्लत के बावजूद, लोग अनावश्यक रूप से पानी की बर्बादी कर रहे हैं। कुछ मोहल्लों में सुबह के समय घरों का पानी सड़कों पर बहता नजर आ रहा है और कई लोग वाहनों की धुलाई में भी पीने योग्य पानी का उपयोग कर रहे हैं।
विशेषज्ञों और प्रशासन का मानना है कि अगर इस तरह लापरवाही जारी रही, तो निकट भविष्य में गंभीर संकट फिर से उत्पन्न हो सकता है। आमजन से अपील की जा रही है कि पानी का उपयोग सोच-समझकर और सीमित मात्रा में करें।