


जबलपुर/भोपाल। मध्यप्रदेश के जनजातीय कार्य मंत्री विजय शाह अपने विवादित बयान के चलते कानूनी मुश्किलों में घिर गए हैं। सेना की अधिकारी कर्नल सोफिया कुरेशी को लेकर की गई अपमानजनक टिप्पणी के बाद अब मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के सख्त निर्देश जारी किए हैं। हाईकोर्ट की डबल बेंच ने स्वतः संज्ञान लेते हुए यह आदेश दिया है।
हाईकोर्ट की जबलपुर बेंच, जिसमें जस्टिस अतुल श्रीधरन और जस्टिस अनुराधा शुक्ला शामिल हैं, ने सरकार को निर्देश दिया है कि शाम 6 बजे तक मंत्री विजय शाह पर एफआईआर दर्ज की जाए। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि यदि यह कार्रवाई निर्धारित समय तक नहीं की गई तो राज्य के पुलिस महानिदेशक (DGP) के खिलाफ कोर्ट की अवमानना की कार्यवाही की जाएगी।
कोर्ट का सख्त रुख
हाईकोर्ट ने मंत्री के बयान को सांप्रदायिक तनाव फैलाने वाला और भारत की एकता एवं अखंडता को नुकसान पहुंचाने वाला बताया है। कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा कि बयान की गंभीरता को देखते हुए उन पर गंभीर आपराधिक धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया जाए।
क्या कहा था मंत्री विजय शाह ने
विवादित बयान इंदौर के पास महू क्षेत्र के रायकुंडा गांव में एक कार्यक्रम के दौरान सामने आया। मंत्री ने पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए सेना की अधिकारी कर्नल सोफिया कुरेशी को लेकर अत्यंत आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग किया। उन्होंने कहा,
“जिन लोगों ने हमारी बेटियों के सिंदूर उजाड़े, उन कटे-पिटे लोगों को हमने उन्हीं की बहन भेजकर उनकी ऐसी की तैसी करवाई। उनके समाज की बहन को भेजा… हमारी बहनों के सुहाग का बदला तुम्हारी जाति की बहनों से कराया।”
इस दौरान उन्होंने कई और अभद्र व आपत्तिजनक टिप्पणियां कीं।
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आलोचना और सफाई
बयान के वायरल होते ही देशभर में तीखी प्रतिक्रिया सामने आई। सामाजिक संगठनों, पूर्व सैन्य अधिकारियों और राजनीतिक दलों ने मंत्री की निंदा की। चौतरफा दबाव के बाद विजय शाह ने माफी मांगी और कहा कि उनके बयान को संदर्भ से काटकर प्रस्तुत किया गया है।

सरकार में हड़कंप, विपक्ष हमलावर
घटना के बाद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मंत्री से स्पष्टीकरण मांगा। मंत्री शाह ने भोपाल में बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात कर अपना पक्ष रखा। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा का संदेश लेकर पूर्व विधायक मानवेंद्र सिंह, कर्नल सोफिया के परिवार से मिलने नौगांव (छतरपुर) पहुंचे और परिवार से क्षमा मांगी।
कांग्रेस ने इस पूरे मामले को लेकर सरकार पर हमला तेज कर दिया है। विपक्ष की मांग है कि विजय शाह को तुरंत मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया जाए और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।
यह मामला केवल राजनीतिक ही नहीं बल्कि संवैधानिक और नैतिक दृष्टिकोण से भी गंभीर बन गया है, जिसे अब न्यायपालिका ने अपने हाथ में लेते हुए एक अहम संकेत दिया है।