


भारत के सख्त रुख से घबराया पाकिस्तान, बुलाई राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की आपात बैठक
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कैबिनेट सुरक्षा समिति (सीसीएस) की उच्चस्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। यह बैठक दो घंटे से अधिक चली, जिसमें देश की सुरक्षा, जवाबी रणनीति और क्षेत्रीय हालात की समीक्षा की गई। इस बैठक में गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री एस. जयशंकर सहित शीर्ष अधिकारी मौजूद रहे।
सीसीएस बैठक के कुछ ही घंटों बाद पाकिस्तान सरकार में हड़कंप मच गया। प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने 24 अप्रैल को राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की आपात बैठक बुला ली है। पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर जानकारी देते हुए कहा कि इस बैठक में भारत के हालिया बयान और कश्मीर में बनी स्थिति पर चर्चा की जाएगी।
इशाक डार ने पोस्ट किया, “प्रधानमंत्री मोहम्मद शाहबाज शरीफ ने भारत सरकार के हालिया बयान के बाद गुरुवार सुबह राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की बैठक बुलाई है, जिसमें राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े विषयों पर विचार किया जाएगा।”
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कनाडा ने हमले की देर से निंदा की
इस बीच कनाडा ने हमले के 36 घंटे बाद प्रतिक्रिया दी। प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने सोशल मीडिया पर लिखा, “जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकवादी हमले से मैं स्तब्ध हूं। यह हिंसा का क्रूर और चौंकाने वाला कृत्य है। कनाडा इसकी कड़ी निंदा करता है और पीड़ितों तथा उनके परिवारों के प्रति संवेदना प्रकट करता है।”

भारत में सर्वदलीय बैठक का भी ऐलान
भारत सरकार ने हमले की गंभीरता को देखते हुए 24 अप्रैल को सर्वदलीय बैठक बुलाने का फैसला किया है। यह बैठक रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में होगी, जिसमें विभिन्न दलों के नेता भाग लेंगे। बैठक में हमले के बाद के हालात, सुरक्षा उपायों और आगे की रणनीति पर विचार-विमर्श किया जाएगा।
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने जानकारी दी कि सीसीएस को हमले की विस्तृत जानकारी दी गई, जिसमें 25 भारतीय और एक नेपाली नागरिक की मृत्यु हुई, जबकि कई अन्य घायल हैं। बैठक में प्रधानमंत्री ने हमले की कड़ी निंदा की और पीड़ित परिवारों के प्रति गहरी संवेदना जताई।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस हमले की गंभीरता को देखते हुए अपनी सऊदी अरब यात्रा को बीच में ही रद्द कर दिल्ली लौटने का निर्णय लिया, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि भारत अब कश्मीर और सीमाओं की सुरक्षा को लेकर कोई ढिलाई नहीं बरतना चाहता।