


राजस्थान में इस बार भी अच्छी और सामान्य से अधिक बारिश होने के संकेत मिल रहे हैं। भारतीय मौसम विभाग ने जानकारी दी है कि दक्षिण-पश्चिमी मानसून के सक्रिय होने के बाद जुलाई से सितंबर के बीच प्रदेश में दीर्घकालिक औसत से लगभग 105% अधिक बारिश होने का अनुमान है। हालांकि यह अनुमान मई और जून की गर्मी के शेष दिनों में मानसून की प्रदेश में एंट्री और सक्रियता पर निर्भर करेगा।
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार बंगाल की खाड़ी से उठने वाला दक्षिण-पश्चिमी मानसून इस बार 30 मई तक दस्तक दे सकता है। इस वर्ष अल नीनो प्रभाव भी कमजोर बना हुआ है, जिससे मानसून की समय पर शुरुआत की संभावनाएं बढ़ गई हैं। पिछले वर्ष भी मानसून ने जून के अंत में राजस्थान में प्रवेश किया था और 2 जुलाई को कई जिलों में सक्रिय होकर झमाझम बारिश का दौर शुरू हो गया था।
अल नीनो इस बार कमजोर:
अल नीनो एक जलवायु प्रणाली है जिसमें प्रशांत महासागर के पूर्वी उष्णकटिबंधीय भागों में समुद्री सतह का तापमान असामान्य रूप से बढ़ जाता है। मजबूत अल नीनो मानसून को कमजोर करता है, जबकि कमजोर अल नीनो भारत और विशेषकर राजस्थान के लिए अच्छा संकेत माना जाता है। इस बार कमजोर अल नीनो की स्थिति के चलते मानसून सामान्य से बेहतर रहने की संभावना है।

पिछले साल का मानसून प्रदर्शन:
2023 में राजस्थान के 33 में से 16 जिलों में सामान्य से 60% अधिक वर्षा दर्ज की गई। 10 जिलों में औसत से अधिक और 7 जिलों में सामान्य बारिश हुई। दौसा जिले में 1409.4 मिमी और सवाई माधोपुर जिले में 1285.6 मिमी वर्षा दर्ज की गई, जो कि दीर्घकालिक औसत से क्रमशः 137% और 94% अधिक रही।
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इस बार की उम्मीदें:
राजस्थान में जून से सितंबर तक औसतन 435.6 मिमी बारिश होती है। लेकिन 2023 में 678.4 मिमी वर्षा दर्ज हुई, जो दीर्घकालिक औसत से 156% अधिक रही। ऐतिहासिक रूप से देखा जाए तो 1917 में 844.2 मिमी और 1908 में 682.2 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गई थी। इस बार भी उम्मीद की जा रही है कि मानसून सामान्य से अधिक मेहरबान रहेगा और प्रदेश के किसानों और आमजन को राहत मिलेगी।