


नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के कुछ महत्वपूर्ण प्रावधानों पर अंतरिम रोक लगाने का प्रस्ताव रखा, जिनमें केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिमों को शामिल करना, वक्फ संपत्तियों पर विवादों का निपटारा कलेक्टर द्वारा करना, और वक्फ घोषित संपत्तियों को अदालतों द्वारा गैर-अधिसूचित करने के अधिकार शामिल हैं।
हालांकि, केंद्र सरकार के आग्रह पर सुप्रीम कोर्ट ने इस अंतरिम आदेश को फिलहाल के लिए स्थगित कर दिया है और सरकार से तीन प्रमुख सवालों के जवाब मांगे हैं।
सरकार से मांगे तीन अहम जवाब
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‘वक्फ बाय यूजर’ प्रावधान क्यों हटाया गया?
अदालत ने पूछा कि लंबे समय से धार्मिक उपयोग में रही संपत्तियों को बिना पंजीकरण के वक्फ मानने की प्रक्रिया अब क्यों समाप्त की गई? -
प्राचीन मस्जिदों के पास रजिस्ट्री नहीं, फिर कैसे करें रजिस्ट्रेशन?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 14वीं से 16वीं सदी के बीच बनीं मस्जिदों के पास सेल डीड होना असंभव है। ऐसे में उन्हें कैसे वैध रूप से रजिस्टर किया जा सकेगा?- Advertisement -
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वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिमों को क्यों शामिल किया जा रहा है?
अदालत ने पूछा कि क्या केंद्र सरकार हिंदू ट्रस्टों में मुसलमानों को शामिल करने के लिए भी तैयार है?
याचिकाओं पर व्यापक सुनवाई
वक्फ कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली 100 से अधिक याचिकाओं पर सुनवाई जारी है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी विचार किया कि क्या इन मामलों को हाईकोर्ट को सौंपा जाए। अदालत ने वरिष्ठ वकीलों कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी, राजीव धवन और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलीलें सुनीं और तीन सूत्रीय अंतरिम आदेश पर विचार किया।

धार्मिक स्थलों पर भी हुई चर्चा
कपिल सिब्बल ने जामा मस्जिद का मुद्दा उठाया, जिस पर सीजेआई ने आश्वासन दिया कि ऐसे सभी प्राचीन स्मारक संरक्षित रहेंगे और कानून इस पक्ष में है। सिब्बल ने यह भी कहा कि ‘वक्फ बाय यूजर’ को हटाना धार्मिक प्रथा पर सीधा हमला है, जिसे सुप्रीम कोर्ट पहले राम जन्मभूमि मामले में मान्यता दे चुका है।
हिंसा पर जताई चिंता
सुनवाई के दौरान देशभर में हो रही हिंसा पर भी अदालत ने चिंता जताई। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अदालत को ऐसा संदेश नहीं जाना चाहिए कि हिंसा के ज़रिए दबाव बनाने का प्रयास हो रहा है।
याचिकाएं किन-किन ने दायर कीं?
इन याचिकाओं को एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी, आप विधायक अमानतुल्ला खान, जमीयत उलेमा-ए-हिंद, एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स, ऑल केरल जमीयतुल उलेमा, और कई अन्य संगठनों और व्यक्तियों ने दायर किया है।
अगली सुनवाई गुरुवार को
सीजेआई संजीव खन्ना, जस्टिस पीवी संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने सुनवाई को गुरुवार दोपहर दो बजे तक स्थगित किया है। तब तक सरकार को कोर्ट द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब तैयार करने का समय दिया गया है।