


राजस्थान का अनोखा गांव: डवानी, जहां हर घर से निकलते हैं शिक्षक और नेता
माजरीकलां। उपतहसील गंडाला के अंतर्गत स्थित छोटा सा गांव डवानी इन दिनों एक अनोखी पहचान के लिए चर्चा में है—यहां लगभग हर घर में एक शिक्षक या नेता जरूर मिल जाता है। करीब 200 परिवारों और लगभग 1400 की आबादी वाले इस गांव को आज ‘शिक्षकों और नेताओं का गांव’ कहा जाता है।
इतिहास से जुड़ी पहचान
डवानी गांव लगभग 200 साल पहले सीताराम के पूर्वजों द्वारा दोबारा बसाया गया था। स्वतंत्रता आंदोलन के बाद और देश के पहले चुनाव में गांव को नई पहचान मिली, जब प्रभुदयाल यादव ने अलवर रियासत में मंत्री पद संभाला और बाबू सपतराम 1952 में तिजारा विधानसभा से विधायक चुने गए। इसके बाद वे राजस्थान सरकार में मंत्री, अलवर के जिला प्रमुख भी रहे।
इसी दौर में गांव के तोताराम यादव और प्रभातीलाल यादव जैसे शिक्षकों ने शिक्षा की अलख जगाई और शिक्षा को गांव की संस्कृति का हिस्सा बना दिया। इस परंपरा को आगे बढ़ाते हुए डवानी गांव आज भी शिक्षा और राजनीति के क्षेत्र में खास मुकाम रखता है।
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वर्तमान में शिक्षा और सेवा क्षेत्र में योगदान
आज गांव से जुड़े सैकड़ों लोग शिक्षा विभाग में सेवारत हैं या सेवानिवृत्त हो चुके हैं। इसके अलावा राज्य व केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों और निजी क्षेत्र की बड़ी कंपनियों में भी गांव के लोग अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
गांव के शहीद प्रेमचंद योगी और शहीद गुरुमुख यादव ने देश की रक्षा करते हुए प्राणों की आहुति दी, जिससे गांव का नाम और भी ऊंचा हुआ।
गांव की वर्तमान स्थिति
डवानी गांव आज सभी बुनियादी सुविधाओं से लैस है। यहां पक्के रास्ते, स्वच्छ जल आपूर्ति, राजकीय और निजी विद्यालय, उप-स्वास्थ्य केंद्र, 33 केवी जीएसएस और सहकारी समिति मुख्यालय मौजूद हैं। गांव अब ग्राम पंचायत बूढवाल में शामिल है।

धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान
गांव के मध्य स्थित जोहड़ पर बाबा शीतलनाथ महाराज का आश्रम है। कहा जाता है कि बाबा ने यहां तप किया था। हर वर्ष बैसाख शुल्क पंचमी को बाबा का मेला लगता है। बाबा शीतलनाथ शिक्षा समिति नववर्ष पर प्रतिभा सम्मान समारोह आयोजित करती है। साथ ही गांव में श्रीराम, हनुमान, शिव और राधाकृष्ण मंदिर भी हैं।
राजनीतिक प्रभाव और नेतृत्व
डवानी गांव से कई प्रमुख राजनेता निकले हैं। बलबीर सिंह, शिवनारायण, गंगाराम, नत्थूराम, रघुनाथ बोहरा, मातादीन बोहरा, दुर्गा प्रसाद बोहरा, और दौलतराम बोहरा जैसे नाम पंचायत व क्षेत्रीय राजनीति में सक्रिय रहे।
वर्तमान में जसविंदर यादव अजमेर विश्वविद्यालय के महासचिव और युवा कांग्रेस के प्रदेश सचिव हैं। बाबू सपतराम के पुत्र डॉ. जगदीश प्रसाद अलवर ग्रामीण से विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं। वहीं जीतू डवानी राठ में एक सफल उद्योगपति और भामाशाह के रूप में पहचान बना चुके हैं।
शिक्षा में डवानी का गौरव
डवानी ने शिक्षा के क्षेत्र में भी कई प्रतिष्ठित नाम दिए हैं—पूर्व IAS अशोक सपतराम, वर्तमान में अजमेर सभागीय आयुक्त महेश चंद्र शर्मा, सेवानिवृत्त IPS जसवंत सपतराम, RAS रतनलाल योगी, डॉ. जगदीश सपतराम, डॉ. राकेश यादव, जलदाय विभाग के AEN नीरज यादव और मेजर अतुल यादव जैसे नाम शामिल हैं। आज गांव के 6 छात्र IIT और 5 छात्र MBBS कर रहे हैं।
शिक्षा की अलख जगाने वाले शिक्षक
स्व. प्रभातीलाल यादव, चन्द्रभान यादव, दौलतराम यादव, बनवारीलाल, अनिल यादव, तोताराम, रामसिंह, शिवदान सिंह, दीपचंद यादव, सपतराम यादव, जितेंद्र यादव, प्रधानाचार्य वीरेन्द्र यादव, शेर सिंह, सतीश कुमार सहित कई शिक्षकों का योगदान उल्लेखनीय है।
डवानी गांव की यह विशेषता कि यहां हर घर से एक शिक्षक या नेता निकलता है, न सिर्फ प्रेरणादायक है बल्कि यह बताती है कि शिक्षा और नेतृत्व की परंपरा यदि परिवारों और समाज में रच-बस जाए तो वह पूरे क्षेत्र को दिशा दे सकती है।