


बीकानेर में गणगौर पूजन का शुभारंभ धुलंडी के दिन हुआ, जो अगले 32 दिनों तक जारी रहेगा। पहले 16 दिन बाली गणगौर का पूजन होगा, जिसके बाद विभिन्न स्थानों पर मेले लगेंगे।
गणगौर पूजन की परंपराएं
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बाली गणगौर पूजन के बाद धींगा गवर पूजन की शुरुआत होगी।
महिलाएं घर में गणगौर पूजन करेंगी, जबकि धींगा गवर मेले से पहले बाहरवासी गणगौर का मेला जूनागढ़ में आयोजित होगा।
दो दिन बाद धींगा गवर का मेला लगेगा, जिसमें शहरभर की महिलाएं गणगौर को पूजने और विदाई की रस्म निभाने आएंगी।
पारंपरिक लोकगीतों की गूंज

गणगौर पूजन के दौरान कुंवारी कन्याएं अच्छे वर की कामना और विवाहित महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं। इस दौरान गलियों में पारंपरिक गीतों की गूंज सुनाई देती है—
“छोरियां आई गवर पूजणे… कैणे री बेटी छै, कैणेजी री पोती छै, नाम थारों क्या है…”
“उठी-उठी गवर, निंदाड़ो खोल, सूरज तपो रेलिलाड़…”
पूजन विधि और दातणिये की रस्म
शीतला सप्तमी तक महिलाएं एक समय गणगौर पूजन करती हैं।
शीलाष्टमी के बाद यह पूजन सुबह और शाम दोनों समय किया जाता है।
शाम के समय दातणिये देने की रस्म होती है, जिसमें महिलाएं गणगौर को पानी पिलाने और विदा करने की परंपरा निभाती हैं।