


नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया और यूट्यूब पर बढ़ती अश्लीलता और अनैतिक कंटेंट को लेकर चिंता जताई है। अदालत ने केंद्र सरकार से पूछा कि क्या वह अश्लील सामग्री पर कोई सख्त कार्रवाई करने के लिए तैयार है। यदि सरकार कदम नहीं उठाती, तो न्यायपालिका इस मामले में हस्तक्षेप करने को मजबूर होगी।
यूट्यूब कंटेंट पर सुप्रीम कोर्ट का कड़ा रुख
सुप्रीम कोर्ट की पीठ, जिसकी अध्यक्षता न्यायमूर्ति सूर्यकांत कर रहे थे, ने इस मामले की गंभीरता पर जोर दिया। अदालत ने कहा,
“हम इस खालीपन को यूं ही नहीं छोड़ सकते, जहां तथाकथित यूट्यूब चैनल और यूट्यूबर्स इसका दुरुपयोग कर रहे हैं।”
अदालत ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से पूछा कि इस मुद्दे पर सरकार की क्या राय है और अब तक क्या ठोस कदम उठाए गए हैं।
रणवीर इलाहाबादिया को अंतरिम राहत, लेकिन देश छोड़ने पर रोक
यह मामला लोकप्रिय यूट्यूबर और पॉडकास्टर रणवीर इलाहाबादिया से जुड़ा हुआ था, जिनके ‘इंडियाज गॉट लेटेंट’ शो के एक एपिसोड में की गई टिप्पणियों पर देशभर में कई एफआईआर दर्ज की गई थीं।
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सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण देते हुए कहा कि वह जांच में सहयोग करें। हालांकि, अदालत ने निर्देश दिया कि –
उन पर अब कोई नई एफआईआर दर्ज नहीं होगी।
बिना अनुमति के वह देश नहीं छोड़ सकते।
उन्हें अपना पासपोर्ट पुलिस को सौंपना होगा।
सरकार उठाएगी कदम या कोर्ट करेगा हस्तक्षेप?
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से यह भी स्पष्ट करने को कहा कि –
- क्या यूट्यूब और सोशल मीडिया पर कंटेंट को नियंत्रित करने के लिए कोई दिशानिर्देश हैं?
- क्या सरकार डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर अश्लीलता रोकने के लिए कोई नया कानून लाएगी या मौजूदा नियमों को और सख्त करेगी?
अदालत ने कहा कि यदि सरकार इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाती, तो न्यायपालिका स्वयं हस्तक्षेप करने के लिए मजबूर होगी। अब देखना होगा कि केंद्र सरकार अगली सुनवाई में क्या जवाब देती है और सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक कंटेंट पर नियंत्रण के लिए क्या कदम उठाए जाते हैं।