


देश के लिए भूमि देकर 40 साल से भटक रहे किसान, अब तक नहीं मिला हक
बीकानेर। एशिया की सबसे बड़ी युद्धाभ्यास स्थली महाजन फील्ड फायरिंग रेंज (MFFR) के निर्माण के लिए किसानों की उपजाऊ भूमि 40 साल पहले अधिग्रहित कर ली गई थी। लेकिन अब तक इन किसानों को न तो मुआवजा मिला, न ही बदले में जमीन।
सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे किसान
148 किसानों के भूमि आवंटन से जुड़े प्रकरण वर्षों से उपनिवेशन विभाग में लटके पड़े हैं, जबकि 350 किसानों को वन विभाग की भूमि आवंटित कर दिया गया, जिससे मामला दोहरे आवंटन की उलझन में फंस गया है। किसान पटवारी, तहसीलदार, जिला कलक्टर तक न्याय की गुहार लगा रहे हैं, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं निकला।
उपनिवेशन विभाग से छीने गए भूमि आवंटन के अधिकार
राज्य सरकार के राजस्व डिप्टी सेक्रेट्री बिरधीचंद गंगवाल ने 17 जनवरी को नोटिफिकेशन जारी कर उपनिवेशन विभाग के भूमि आवंटन के अधिकार रद्द कर दिए। पहले 11 सितंबर 2007 को उपनिवेशन विभाग को किसानों को जमीन देने का अधिकार दिया गया था, लेकिन अब यह जिला कलक्टर के पास चला गया है।
अब जिला कलक्टर करेगा भूमि आवंटन
नई व्यवस्था के तहत अब बीकानेर जिला कलक्टर के पास ही भूमि आवंटन का अधिकार रहेगा। हालांकि, राज्य सरकार ने आवंटन प्रक्रिया को लेकर कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी नहीं किए। ऐसे में उपनिवेशन विभाग अब किसानों की फाइलें कलक्टर के पास भेजने की तैयारी में है।
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सरकार ने दिया था जमीन देने का वादा, लेकिन प्रक्रिया अटकी
महाजन फील्ड फायरिंग रेंज के लिए जिन किसानों की भूमि ली गई थी, उनके बदले में कृषि भूमि आवंटित करने का वादा किया गया था। सितंबर 2007 में सरकार ने प्रमाण पत्र जारी कर यह अधिकार उपनिवेशन आयुक्त को दिया था। लेकिन किसानों की फाइलें सालों से सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रही हैं और अब तक कोई ठोस समाधान नहीं हुआ।
फाइलें मुख्यालय भेजी गईं, अब आदेश का इंतजार
उपनिवेशन विभाग के अतिरिक्त आयुक्त अरविंद जाखड़ ने बताया कि 17 जनवरी के आदेश के बाद सभी लंबित प्रकरणों का नोट बनाकर जयपुर मुख्यालय भेज दिया गया है। अब मुख्यालय से जो भी निर्देश आएंगे, उसी के अनुसार कार्रवाई की जाएगी।
40 साल बाद भी हक के इंतजार में किसान
देश की रक्षा के लिए अपनी भूमि देने वाले किसान 40 साल से न्याय की लड़ाई लड़ रहे हैं। अब सवाल उठता है कि क्या सरकार अपने वादे पूरे करेगी, या ये किसान यूं ही दफ्तरों के चक्कर काटते रहेंगे?