


PMLA के दुरुपयोग पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई नाराजगी, ED को दी कड़ी चेतावनी
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) को फटकार लगाते हुए कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग कानून (PMLA) का उसी तरह दुरुपयोग हो रहा है जैसे दहेज कानून (धारा 498A) का होता है। कोर्ट ने कहा कि इस कानून का इस्तेमाल किसी आरोपी को अनिश्चितकाल के लिए जेल में रखने के लिए नहीं किया जा सकता।
क्या है मामला?
मामला छत्तीसगढ़ शराब घोटाले से जुड़ा है, जिसमें पूर्व IAS अधिकारी अरुण पति त्रिपाठी आरोपी हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने त्रिपाठी को जमानत दी, लेकिन वह फिलहाल जेल में ही रहेंगे क्योंकि उन पर आर्थिक अपराध शाखा (EOW) द्वारा दर्ज एक अन्य केस भी चल रहा है।
ED ने त्रिपाठी को 2023 में गिरफ्तार किया था और उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया था।
सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस ऑगस्टिन मसीह की पीठ ने कहा कि:
PMLA का दुरुपयोग दहेज कानून की तरह हो रहा है।
इस कानून के तहत आरोपी को हमेशा के लिए जेल में नहीं रखा जा सकता।
ED को अपनी जांच प्रक्रिया में पारदर्शिता और न्यायसंगत व्यवहार अपनाना चाहिए।

क्या है PMLA कानून?
मनी लॉन्ड्रिंग कानून (PMLA) के तहत किसी आरोपी को जमानत मिलना बेहद कठिन होता है।
इस कानून में ‘ट्विन कंडीशन’ लागू होती है, जिसके तहत:
आरोपी को तभी जमानत मिल सकती है जब वह साबित कर सके कि उसने अपराध नहीं किया।
यह भी प्रमाण देना होता है कि वह भविष्य में किसी अपराध में शामिल नहीं होगा।
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इस फैसले के मायने
सुप्रीम कोर्ट के इस रुख से यह स्पष्ट होता है कि PMLA का दुरुपयोग गंभीर मुद्दा बनता जा रहा है।
यह फैसला अन्य मामलों में भी ED की कार्यप्रणाली पर प्रभाव डाल सकता है।
अगले कदम: ED को अब PMLA मामलों में अधिक सतर्कता और न्यायसंगत दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत होगी।