इसरो का 100वां मिशन सफल: भारत ने स्वदेशी नैविगेशन सिस्टम में महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 100वां मिशन सफलतापूर्वक पूरा किया। इस मिशन के तहत एनवीएस-02 उपग्रह को कक्षा में स्थापित किया गया। यह उपग्रह भारत के स्वदेशी नैविगेशन सिस्टम ‘नाविक’ को मजबूत करने के लिए भेजा गया है। देशभर में इस सफलता पर खुशी का माहौल है और कई हस्तियों ने इसरो को बधाई दी है।
क्या है इसरो का 100वां मिशन?
ISRO ने 100वां मिशन बुधवार सुबह 6:23 बजे श्रीहरिकोटा से जीएसएलवी-एफ15 रॉकेट के माध्यम से लॉन्च किया। इस मिशन में 2250 किलोग्राम का नेविगेशन उपग्रह एनवीएस-02 भेजा गया, जो नाविक शृंखला का दूसरा उपग्रह है। इस शृंखला में कुल पांच उपग्रह भेजे जाएंगे, जिनकी मदद से भारत को सटीक नेविगेशन सेवाएं मिलेंगी।
इस मिशन की खासियत:
एनवीएस-02 को पूरी तरह स्वदेशी तकनीक से तैयार किया गया है और इसे URSC में विकसित किया गया। इसमें रूबिडियम एटॉमिक फ्रीक्वेंसी स्टैंडर्ड (RAFS) जैसी आधुनिक तकनीक भी है, जो भारत के सटीक समय की जानकारी प्रदान करेगी।
भारत के लिए यह मिशन क्यों अहम है?
इस उपग्रह के जरिए भारत का नेविगेशन सिस्टम अब पूरी तरह से स्वतंत्र हो जाएगा। पहले भारत को नक्शों और समय संबंधी जानकारी के लिए अमेरिका के जीपीएस या रूस के ग्लोनास पर निर्भर रहना पड़ता था। लेकिन अब भारत का स्वदेशी नाविक सिस्टम इसे आत्मनिर्भर बनाएगा। इससे देश को किसी भी संकट या तनाव की स्थिति में अपनी स्वतंत्रता बनाए रखने में मदद मिलेगी, जैसा कि 1999 के कारगिल युद्ध में हुआ था, जब अमेरिका ने भारत की मदद से इनकार कर दिया था।
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भारत का स्वदेशी सैटेलाइट नैविगेशन सिस्टम:
भारत ने 2006 में अपना स्वदेशी नाविक सिस्टम विकसित करने की योजना शुरू की थी, और अब तक कुल 11 सैटेलाइट्स लॉन्च की जा चुकी हैं, जिनमें 6 सैटेलाइट्स काम कर रही हैं। एनवीएस-02 इन सैटेलाइट्स की संख्या बढ़ाएगा और नाविक प्रणाली को और मजबूत करेगा।
नाविक का उपयोग:
इस सिस्टम का उपयोग पहले सैन्य क्षेत्रों में किया जा रहा है, लेकिन एनवीएस सैटेलाइट्स की मदद से इसे अब नागरिकों के लिए भी उपलब्ध कराए जाने की संभावना है। नाविक सिस्टम की सटीकता 10 मीटर तक होगी, जबकि भारत से बाहर यह 20 मीटर तक सटीक होगा।
आगे का लक्ष्य:
भारत का नाविक सिस्टम वैश्विक स्तर पर फैलने की दिशा में भी काम कर रहा है। इसके लिए भारत को 24,000 किलोमीटर ऊपर 24 सैटेलाइट्स का एक नया कॉन्स्टलेशन स्थापित करना होगा, जो पूरी दुनिया में नैविगेशन सेवाएं प्रदान करेगा।
इस मिशन की सफलता से यह स्पष्ट हो गया है कि भारत अब अंतरिक्ष तकनीकी और स्वदेशी विकास के क्षेत्र में बड़ी ताकत बन चुका है, और भविष्य में अन्य देशों पर निर्भरता को पूरी तरह समाप्त करने की ओर बढ़ रहा है।