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हफ्ते के पहले कारोबारी दिन सोमवार को, वैश्विक बाजारों में कमजोरी के चलते और विशेष रूप से आईटी और तेल-गैस कंपनियों के शेयरों में भारी बिकवाली के कारण बीएसई सेंसेक्स 824.29 अंक (1.08%) गिरकर 75,366.17 के स्तर पर बंद हुआ। एनएसई निफ्टी भी 263.05 अंक (1.14%) गिरकर 22,829.15 पर आ गया, जो 6 जून 2024 के बाद पहली बार 23,000 के स्तर से नीचे चला गया।
सेंसेक्स के 30 शेयरों में से 23 में गिरावट रही, जबकि सिर्फ 7 शेयरों में बढ़त देखी गई। दिन के दौरान, सेंसेक्स 75,925.72 के उच्चतम और 75,267.59 के न्यूनतम स्तर के बीच चढ़ा-उतरा। बीएसई पर लिस्टेड कंपनियों का बाजार पूंजीकरण भी घटकर 410.08 लाख करोड़ रुपये हो गया, जो 9.43 करोड़ रुपये कम था।
आईटी, तेल-गैस और पावर सेक्टर में गिरावट
आईटी, दूरसंचार, बिजली, उपभोक्ता वस्तुएं, तेल-गैस और स्वास्थ्य क्षेत्र के शेयरों में सबसे बड़ी गिरावट देखी गई। यह गिरावट अमेरिकी व्यापार नीति में अनिश्चितता के कारण आई, क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कोलंबिया पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा की थी। हालांकि, बाद में अमेरिका ने यह निर्णय वापस ले लिया।
एचसीएल टेक में सबसे बड़ी गिरावट
सेंसेक्स के शेयरों में एचसीएल टेक में सबसे अधिक 4.49 प्रतिशत की गिरावट आई। इसके अलावा, जोमैटो, टेक महिंद्रा, पावरग्रिड और टाटा मोटर्स के शेयरों में भी गिरावट दर्ज की गई। वहीं, आईसीआईसीआई बैंक के शेयरों में 1.39 प्रतिशत की बढ़त दिखी। तीसरी तिमाही के बेहतर नतीजों के बाद बैंक के शेयरों में खरीदारी हुई।
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वैश्विक बाजारों में भी बिकवाली
एशियाई बाजारों में, शंघाई और टोक्यो के शेयर बाजार कमजोर विनिर्माण आंकड़ों के कारण गिरावट के साथ बंद हुए। यूरोपीय बाजारों में भी गिरावट देखने को मिली, जहां जर्मनी का DAX 1.1 प्रतिशत, पेरिस का CAC 40 0.8 प्रतिशत और ब्रिटेन का FTSE 100 0.3 प्रतिशत गिरा।
विदेशी निवेशकों का बिकवाली का दबाव
विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने शुक्रवार को 2,758.49 करोड़ रुपये मूल्य की इक्विटी बेची। इसके अलावा, वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड 0.22 प्रतिशत बढ़कर 78.67 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया।