राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के वरिष्ठ नेता भैयाजी जोशी ने हाल ही में गुजरात विश्वविद्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान एक विवादास्पद बयान दिया। उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म में अहिंसा का सिद्धांत है, लेकिन कभी-कभी धर्म और अहिंसा की रक्षा के लिए हिंसा का सहारा लेना पड़ता है। उनका यह बयान सामाजिक और राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया है।
भैयाजी जोशी के मुख्य बिंदु:
- धर्म की रक्षा और हिंसा:
भैयाजी जोशी ने कहा, “हिंदू धर्म में अहिंसा का सिद्धांत है, लेकिन कभी-कभी धर्म और अहिंसा की रक्षा के लिए हिंसा का सहारा लेना पड़ता है। हिंदू सदा अपने धर्म की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध रहे हैं, और इसके लिए उन्हें वे काम भी करने पड़े हैं जिन्हें दूसरे लोग अधर्म मान सकते हैं। यह वही काम हमारे पूर्वजों ने भी किए थे।” - भारत की मजबूती और वैश्विक शांति:
उन्होंने कहा कि भारत का कर्तव्य है कि वह शांति के पथ पर सबको साथ लेकर चले। उनका मानना है कि एक मजबूत भारत और हिंदू समुदाय पूरी दुनिया के हित में है। उन्होंने कहा, “जब हम कहते हैं कि भारत को मजबूत बनना चाहिए, तो हम असल में दुनिया को आश्वासन दे रहे हैं कि एक मजबूत भारत और एक मजबूत हिंदू समुदाय सभी के हित में है, क्योंकि हम कमजोर और वंचितों की रक्षा करेंगे।” - हिंदू धर्म और मानवता:
भैयाजी जोशी ने हिंदू धर्म को मानवता के केंद्र में बताया। उन्होंने कहा, “हिंदू धर्म मानवता के केंद्र में है। जब लोग खुद को हिंदू कहते हैं, तो इसमें कई पहलू शामिल होते हैं। यह एक धर्म, आध्यात्मिकता, विचारधारा, सेवा और जीवनशैली है।”
विवाद और प्रतिक्रियाएं:
भैयाजी जोशी के इस बयान ने एक बार फिर विवाद खड़ा कर दिया है। कई लोगों ने इसे हिंसा को उचित ठहराने का प्रयास बताया है, जबकि कुछ ने इसे धर्म और राष्ट्र की रक्षा के संदर्भ में देखा है। विपक्षी दलों ने इस बयान की आलोचना करते हुए कहा है कि यह समाज में हिंसा को बढ़ावा देने वाला बयान है।
निष्कर्ष:
भैयाजी जोशी का यह बयान हिंदू धर्म, अहिंसा और हिंसा के बीच के जटिल संबंधों को उजागर करता है। उनका कहना है कि धर्म की रक्षा के लिए कभी-कभी हिंसा का सहारा लेना पड़ता है, लेकिन यह बयान समाज में विभिन्न प्रतिक्रियाओं को जन्म दे रहा है। इस बयान के बाद एक बार फिर धर्म, राजनीति और समाज के बीच के संबंधों पर बहस छिड़ गई है।