


बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों, विशेषकर हिंदुओं, के खिलाफ हिंसा और उत्पीड़न की घटनाएं लगातार जारी हैं। पिछले साल अगस्त में 5 से 20 तारीख के बीच हिंदुओं सहित अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा, लूट और आगजनी की 2000 से अधिक घटनाएं दर्ज की गईं। इसके अलावा, आए दिन छिटपुट घटनाएं हो रही हैं, जो अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता पैदा कर रही हैं।
हिंदू सांसदों और नेताओं पर हमले:
अवामी लीग के कई नेताओं ने बताया है कि हिंदू समुदाय के सांसदों और नेताओं के घरों को जला दिया गया है, उनके बैंक खाते फ्रीज़ कर दिए गए हैं, और उनकी संपत्ति को लूटकर नष्ट कर दिया गया है। तीन बार के सांसद रहे पंकज नाथ ने कहा कि अधिकांश हिंदू सांसदों के घर जला दिए गए हैं और वे अपने परिवार के साथ भूमिगत होकर जान बचा रहे हैं।
अवामी लीग के नेताओं की दयनीय स्थिति:
शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग के नेताओं की स्थिति भी खराब है। पार्टी के एक-तिहाई बड़े नेता जेल में हैं, एक-तिहाई देश से बाहर हैं, और जो बांग्लादेश में हैं, वे छिपकर रह रहे हैं। 11 साल तक कैबिनेट मंत्री रहे एक नेता पर हत्या के 37 मामले दर्ज किए गए हैं, जबकि कुल 100 मुकदमे उनके खिलाफ चल रहे हैं।
शेख हसीना का भारत में शरण लेना:
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना 5 अगस्त, 2024 को तख्तापलट के बाद जान बचाकर भारत आई थीं। तब से वे भारत में ही हैं और पार्टी के नेताओं से लगातार संपर्क में हैं। हसीना ने हाल ही में एक ऑडियो क्लिप जारी करके बताया कि उनके विरोधियों ने उन्हें जान से मारने की साजिश रची थी।
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बांग्लादेश में चुनाव की मांग:
बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) ने मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार पर सवाल उठाते हुए जल्द से जल्द चुनाव कराने की मांग की है। BNP के महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने कहा कि सरकार को निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए जरूरी सुधार करने चाहिए।
मोहम्मद यूनुस का बयान:
मोहम्मद यूनुस ने वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (WEF) के मंच पर कहा कि बांग्लादेश में अगले चुनाव 2025 के अंत या 2026 में हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह समयसीमा सुधार प्रक्रिया पर निर्भर करेगी। यूनुस ने शेख हसीना की सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि पिछले चुनावों में धोखाधड़ी हुई थी, लेकिन अगले चुनाव निष्पक्ष होंगे।
निष्कर्ष:
बांग्लादेश में हिंदुओं और अवामी लीग के नेताओं की स्थिति चिंताजनक है। शेख हसीना की सुरक्षा और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करना बांग्लादेश सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है। इसके साथ ही, देश में जल्द से जल्द निष्पक्ष चुनाव कराने की मांग भी तेज हो रही है।