गगनयान मिशन: ISRO ने क्रू मॉड्यूल और प्रणोदन प्रणाली का इंटीग्रेशन किया पूरा, तैयारियां तेज
नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने गगनयान मिशन की तैयारियों को एक बड़ा कदम आगे बढ़ाया है। बुधवार को ISRO ने जानकारी दी कि बिना चालक दल वाले पहले गगनयान-1 मिशन के लिए क्रू मॉड्यूल और प्रणोदन प्रणाली का इंटीग्रेशन पूरा कर लिया गया है। यह मॉड्यूल अब विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC), तिरुवनंतपुरम भेजा गया है, जहां एवियोनिक्स पैकेज असेंबली, इलेक्ट्रिकल हार्नेसिंग और अन्य परीक्षण होंगे।
क्या है गगनयान मिशन?
गगनयान भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन है, जिसके तहत तीन अंतरिक्ष यात्रियों को 400 किमी की ऊंचाई पर तीन दिवसीय मिशन के लिए भेजा जाएगा। इसके बाद उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाया जाएगा। इस मिशन का उद्देश्य भारत की मानव अंतरिक्ष उड़ान क्षमता का प्रदर्शन करना है।
क्रू मॉड्यूल की विशेषताएं:
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- आंतरिक संरचना: यह दबावयुक्त धातु से बनी होगी, जो धरती जैसा वातावरण प्रदान करेगी।
- बाहरी संरचना: इसे उष्मीय सुरक्षा प्रणाली से लैस किया गया है, जो अंतरिक्ष से वापसी के दौरान अत्यधिक ताप को सहन करने में सक्षम होगी।
- सेवा मॉड्यूल से जुड़ाव: क्रू मॉड्यूल एक दबावरहित सेवा मॉड्यूल से जुड़ा होगा, जिसमें थर्मल, बिजली, एवियोनिक्स और प्रणोदन प्रणाली शामिल होंगी।
VSSC ने किया डिजाइन:
क्रू मॉड्यूल और प्रणोदन प्रणाली को VSSC द्वारा डिजाइन किया गया है। अब इसे बेंगलुरु स्थित यूआर राव उपग्रह केंद्र (URSC) में भेजा जाएगा, जहां ऑर्बिटल मॉड्यूल का अंतिम इंटीग्रेशन किया जाएगा।
मिशन की तैयारियां कई केंद्रों पर:
- सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र: यहां क्रू एस्केप सिस्टम और अन्य महत्वपूर्ण प्रणालियां पहुंच चुकी हैं।
- श्रीहरिकोटा लांच केंद्र: ठोस मोटर बूस्टर, तरल चरण एल 110 और क्रायोजेनिक चरण सी-32 पहले ही यहां लाए जा चुके हैं।
- URSC: बेंगलुरु स्थित इस केंद्र में सेवा मॉड्यूल का इंटीग्रेशन हो रहा है।
गगनयान मिशन की महत्वाकांक्षाएं:
ISRO के अनुसार, गगनयान मिशन भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान के इतिहास में एक मील का पत्थर साबित होगा। 2025 तक इसे लॉन्च करने की योजना है, जो भारत को दुनिया के चुनिंदा देशों में शामिल करेगा, जिनके पास मानव अंतरिक्ष उड़ान क्षमता है।