Mahakumbh 2025: संतों के अद्भुत हठयोग भक्तों को कर रहे हैं आकर्षित
प्रयागराज। महाकुंभ 2025 के दौरान संगम नगरी में संत-महंतों के अलग-अलग रूप और उनके हठयोग भक्तों के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। भक्त संगम में पवित्र स्नान करने के बाद बड़ी संख्या में इन संतों से आशीर्वाद लेने और उनके अद्भुत तप को देखने उनके डेरे पर पहुंच रहे हैं। किसी का हठयोग विश्व शांति के लिए है तो कोई इसे मानसिक और शारीरिक संतुलन के लिए कर रहा है।
अनोखे हठयोग के दर्शन:
16 वर्षों से हाथ ऊपर किए कर्णपुरी महाराज
जूना अखाड़े के संत कर्णपुरी महाराज पिछले 16 वर्षों से अपना एक हाथ ऊपर किए हुए हैं। उनका कहना है कि वे यह हठयोग विश्व शांति और रामराज्य की स्थापना के लिए कर रहे हैं। उन्होंने बताया, “जब तक दुनिया में भाईचारा और स्नेह का वातावरण नहीं बनता, तब तक मेरा हठयोग जारी रहेगा।”
6 वर्षों से झूले पर रहने वाले रूपेशपुरी महाराज
रूपेशपुरी महाराज पिछले छह सालों से झूले पर ही रह रहे हैं। उन्होंने बताया कि वे 12 साल के हठयोग का संकल्प लेकर झूले पर विश्राम करते हैं और शाही स्नान के दौरान खड़े होकर स्नान करते हैं। उनका कहना है कि अगर आवश्यकता हुई तो इसे 24 साल या आजीवन भी बढ़ाया जा सकता है।
21 किलो रुद्राक्ष धारण करने वाले वशिष्ठ गिरि महाराज
महाकुंभ में भगवान शिव की आराधना में लीन वशिष्ठ गिरि महाराज 21 किलो रुद्राक्ष धारण किए नजर आए। उन्होंने बताया कि उन्होंने 2010 में गुरु दीक्षा लेने के बाद रुद्राक्ष धारण करना शुरू किया था। शुरुआत में इसका वजन कम था, जो धीरे-धीरे बढ़ता गया।
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अद्वितीय तपस्वी:
- कांटे वाला बाबा: रमेश मांझी, जो 50 सालों से कांटों पर लेटते आ रहे हैं।
- जौ उगाने वाले अमरजीत: यूपी के सोनभद्र जिले के रहने वाले अमरजीत 2021 से अपने सिर पर जौ उगा रहे हैं।
- टार्जन बाबा: मध्यप्रदेश के टार्जन बाबा, जो पिछले 35 वर्षों से एक ही कार में रह रहे हैं।
भक्तों का अनुभव:
महाकुंभ में इन संतों के हठयोग और अद्वितीय जीवन शैली ने भक्तों के मन में गहरी छाप छोड़ी है। श्रद्धालु इन संतों के तप और उनके दृढ़ संकल्प को देखकर प्रेरित हो रहे हैं।
महाकुंभ 2025 के ये दृश्य भारतीय संस्कृति और तपस्वी परंपरा की अद्वितीय झलक पेश कर रहे हैं।