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देश-दुनिया

दिल्ली और लाहौर में प्रदूषण का कहर: दोनों देशों में पराली जलाने को लेकर आरोप-प्रत्यारोप

editor
editor Published November 12, 2024
Last updated: 2024/11/12 at 4:12 PM
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Pollution havoc in Delhi and Lahore: Accusation and counter-accusation in both the countries regarding burning of stubble
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भारत की राजधानी दिल्ली और पाकिस्तान के पंजाब प्रांत का लाहौर इस समय गंभीर वायु प्रदूषण की चपेट में हैं। दोनों शहरों में बढ़ते प्रदूषण के लिए पराली जलाने को कारण माना जा रहा है। दोनों देशों के बीच इस मुद्दे पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है, जहां पाकिस्तान भारतीय पंजाब में पराली जलाने को दोष दे रहा है, वहीं भारत इसके विपरीत तर्क प्रस्तुत कर रहा है।

पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की मुख्यमंत्री मरियम नवाज़ ने कुछ दिन पहले कहा था कि वह लाहौर में बढ़ते प्रदूषण पर भारतीय पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान से बातचीत करेंगी। लेकिन भारतीय विशेषज्ञों का कहना है कि वैज्ञानिक तर्कों से यह साबित नहीं होता कि भारतीय पंजाब से उठने वाला धुआं लाहौर और दिल्ली के प्रदूषण का मुख्य कारण है।

लाहौर में प्रदूषण का स्तर खतरनाक लाहौर में इस महीने एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) कई बार 1000 के पार पहुंच चुका है, जो प्रदूषण के खतरनाक स्तर को दर्शाता है। 300 से ऊपर के एक्यूआई स्तर को स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक माना जाता है। भारतीय पंजाब के कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसा कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है जो यह साबित कर सके कि पंजाब में पराली जलाने से लाहौर या दिल्ली का प्रदूषण बढ़ता है।

पराली जलाना: वायु प्रदूषण का एक मामूली कारण भारतीय कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, दिल्ली और लाहौर के प्रदूषण में स्थानीय कारकों का अधिक योगदान है। सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायरन्मेंट (सीएसई) के अनुसार दिल्ली के प्रदूषण में पराली जलाने का योगदान सिर्फ 4.4 प्रतिशत है। मुख्य कारणों में वाहनों से निकलने वाला धुआं और स्थानीय गतिविधियां शामिल हैं।

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पाकिस्तान का तर्क: नासा डेटा से भारतीय पंजाब जिम्मेदार पाकिस्तान के पर्यावरण मंत्रालय का दावा है कि नासा के सैटेलाइट डेटा के अनुसार भारतीय पंजाब में ज्यादा आग लगी दिखती है, जिससे लाहौर का वायु गुणवत्ता सूचकांक बिगड़ता है। पाकिस्तानी अधिकारी राजा जहांगीर अनवर का कहना है कि भारतीय पंजाब की पराली का धुआं हवा के माध्यम से लाहौर तक पहुंचता है, जो वहां प्रदूषण का बड़ा कारण है।

हवा की गति और धुएं का प्रभाव भारतीय पंजाब के जलवायु परिवर्तन विशेषज्ञों का कहना है कि प्रदूषण के कण हवा की गति के आधार पर ही फैल सकते हैं। अक्टूबर और नवंबर में हवा की गति कम रहती है, जिससे प्रदूषण के कण किसी दूसरी जगह नहीं जा पाते। विशेषज्ञों का कहना है कि लाहौर और दिल्ली में प्रदूषण के स्थानीय कारणों की भूमिका अधिक है।

वैज्ञानिक अध्ययन: पीएम 10 और पीएम 2.5 की सीमाएं भारतीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, पीएम 10 और पीएम 2.5 के कण हवा में बहुत दूर नहीं जा सकते। ये कण अधिकतम 50 किलोमीटर की दूरी तक फैल सकते हैं, जबकि दिल्ली और लाहौर में प्रदूषण के लिए पंजाब के प्रदूषण को जिम्मेदार ठहराना तर्कसंगत नहीं है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह केवल तभी संभव होगा जब पंजाब मिसाइलों के जरिये प्रदूषण भेजे।

दिल्ली में दिवाली का असर और प्रदूषण सीएसई की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में हर साल सर्दियों की शुरुआत के दौरान प्रदूषण का स्तर बढ़ता है। इसका मुख्य कारण वाहनों और औद्योगिक धुएं को माना गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि खेतों में पराली जलाना दिल्ली के प्रदूषण का बहुत छोटा हिस्सा है और इस पर ध्यान देने के बजाय स्थानीय कारणों पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।

निष्कर्ष: प्रदूषण नियंत्रण के लिए साझा प्रयासों की आवश्यकता दोनों देशों के विशेषज्ञों का मानना है कि प्रदूषण से निपटने के लिए पराली जलाने के मुद्दे का समाधान आवश्यक है। भारतीय पंजाब के किसान अमरजीत मान जैसे लोग इस समस्या के समाधान के लिए प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने एक संगठन बनाया है जो पराली को जलाने के बजाय उससे निपटने के लिए किसानों को मदद और उपकरण प्रदान करता है। ऐसे प्रयासों को बढ़ावा देना दोनों देशों के लिए लाभकारी होगा।

पर्यावरण संकट के इस दौर में, भारत और पाकिस्तान दोनों को अपने-अपने स्थानीय प्रदूषण के कारणों पर नियंत्रण करना होगा।


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editor November 12, 2024
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