

सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में कहा है कि सभी निजी स्वामित्व वाली संपत्तियों को सामुदायिक संसाधन नहीं माना जा सकता, जिन्हें राज्य आम भलाई के लिए अपने अधीन कर सकता है। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली नौ न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 8-1 के बहुमत से यह फैसला सुनाया।
पीठ में मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ सहित न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय, नागरत्ना बीवी, सुधांशु धूलिया, जेबी पारदीवाला, मनोज मिश्रा, राजेश बिंदल, एससी शर्मा और एजी मसीह शामिल थे। तीन अलग-अलग फैसले सुनाए गए, जिसमें न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना ने मुख्य न्यायाधीश से अलग राय व्यक्त की, जबकि न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया ने असहमति जताई।
मुख्य न्यायाधीश ने स्पष्ट किया कि अनुच्छेद 39बी के तहत सामुदायिक भलाई के उद्देश्य से कुछ भौतिक संसाधन राज्य के नियंत्रण में लाए जा सकते हैं, लेकिन यह केवल विवाद-विशिष्ट आधार पर ही होना चाहिए। कोर्ट ने यह भी कहा कि हर निजी संपत्ति को सार्वजनिक संसाधन नहीं माना जा सकता।

यह फैसला 1977 के एक पुराने फैसले को पलटते हुए आया है, जिसमें न्यायमूर्ति कृष्ण अय्यर के अल्पमत मत से सहमति जताई गई थी।