


भारत के मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ 10 नवंबर को अपने दो वर्ष के कार्यकाल के बाद सेवानिवृत्त होने वाले हैं। सीजेआई के रूप में 9 नवंबर, 2022 को कार्यभार संभालने के बाद से उन्होंने कई ऐतिहासिक फैसले दिए हैं, जो भारतीय समाज और कानून को गहराई से प्रभावित कर रहे हैं। आइए, उनके कुछ महत्वपूर्ण फैसलों पर नजर डालते हैं:
- अनुच्छेद 370 का निरस्तीकरण
पांच सदस्यीय संविधान पीठ, जिसकी अध्यक्षता डी. वाई. चंद्रचूड़ ने की, ने जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के फैसले को बरकरार रखा। साथ ही, चुनाव आयोग को निर्देशित किया कि वह 30 सितंबर, 2024 तक जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों के लिए कदम उठाए। - समलैंगिक विवाह पर निर्णय
समलैंगिक विवाह को वैधता देने से मना करते हुए, अदालत ने इस मुद्दे को कानून द्वारा सुलझाने का जिम्मा संसद को सौंपा। अदालत ने कहा कि विवाह मौलिक अधिकार नहीं है और इस पर निर्णय लेना संसद का अधिकार है। - चुनावी बांड योजना
कोर्ट ने चुनावी बांड योजना को जारी रखा, लेकिन चेतावनी दी कि मतदाताओं को दलों की फंडिंग की जानकारी न मिलने से लोकतंत्र को खतरा हो सकता है। राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता की आवश्यकता को रेखांकित किया गया। - जेलों में जाति-आधारित श्रम विभाजन
जेलों में निचली जाति के कैदियों से सफाई कार्य करवाने की परंपरा को असंवैधानिक बताया और निर्देश दिया कि कैदी रजिस्टर से जाति कॉलम को हटा दिया जाए। - बाल विवाह निषेध अधिनियम
अदालत ने कहा कि बाल विवाह का पर्सनल लॉ द्वारा समर्थन नहीं किया जा सकता, क्योंकि यह नाबालिगों के स्वतंत्र निर्णय का उल्लंघन करता है। इस कानून को लागू करने में अधिकारियों को नाबालिगों की सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। - नागरिकता अधिनियम की धारा 6A
नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 6A की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा गया, जो 1 जनवरी 1966 से 25 मार्च 1971 के बीच असम में प्रवेश करने वाले अवैध अप्रवासियों को नागरिकता प्रदान करती है। - नीट-यूजी 2024 परीक्षा
नीट-यूजी 2024 परीक्षा को दोबारा आयोजित नहीं करने का आदेश दिया गया। हालांकि, कोर्ट ने कहा कि यह निर्णय उन उम्मीदवारों पर कार्रवाई से नहीं रोकता जिन्होंने गलत तरीकों से प्रवेश प्राप्त किया। - अदाणी-हिंडनबर्ग विवाद
अदाणी समूह के खिलाफ हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट को कोर्ट ने निर्णायक सबूत नहीं माना। कोर्ट ने इस रिपोर्ट को आधार बनाकर कार्रवाई न करने का निर्णय लिया और तृतीय पक्ष की रिपोर्ट्स पर निर्भरता को लेकर सावधानी बरतने का निर्देश दिया। - मणिपुर हिंसा
मणिपुर में आदिवासी महिलाओं के साथ हुई अमानवीय घटना का स्वतः संज्ञान लेते हुए न्यायालय ने इस पर निगरानी रखने के लिए तीन महिला जजों की समिति गठित की। - सांसदों-विधायकों के आपराधिक मामले
मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने सभी हाई कोर्ट को निर्देश दिया कि सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों का शीघ्र निपटारा सुनिश्चित किया जाए।
इन फैसलों ने न्यायिक दृष्टि से भारत के सामाजिक और राजनीतिक परिदृश्य में महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है।
