राजस्थान में 7 विधानसभा सीटों पर जल्द ही उपचुनाव होने जा रहे हैं, जिनकी तारीखों का ऐलान आज चुनाव आयोग दोपहर 3:30 बजे करेगा। इस घोषणा के साथ ही महाराष्ट्र और झारखंड के विधानसभा चुनावों की तारीखें भी निर्धारित की जाएंगी। इन उपचुनावों में दौसा, देवली उनियारा, चौरासी, खींवसर, झुंझुनू, सलूंबर और रामगढ़ सीटों पर मतदान होना है। इन सीटों पर भाजपा और कांग्रेस दोनों ने अपने प्रत्याशियों के पैनल तैयार कर लिए हैं।
राजस्थान की 7 सीटों का राजनीतिक समीकरण राजस्थान की 7 विधानसभा सीटों में से 5 सीटें वहां के विधायकों के सांसद बनने के कारण खाली हुई हैं। सलूंबर सीट पर विधायक अमृतलाल मीणा के निधन के बाद यह खाली हुई, जबकि रामगढ़ सीट विधायक जुबेर खान की मृत्यु के बाद खाली हो गई। इनमें से 4 सीटें कांग्रेस की थीं, जबकि 1-1 सीट आरएलपी, बीएपी और भाजपा की थी।
भाजपा और कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती इन उपचुनावों में राजस्थान की सबसे प्रमुख पार्टियां भाजपा और कांग्रेस के नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर होगी। भाजपा जहां अपने मौजूदा 10 महीने के कार्यकाल की उपलब्धियों के आधार पर चुनाव में उतरेगी, वहीं कांग्रेस अपनी पूर्ववर्ती सरकार की योजनाओं और मौजूदा सरकार की विफलताओं को मुद्दा बनाकर मैदान में उतरेगी। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ने वाले बाप और आरएलपी इस बार विधानसभा उपचुनावों में अलग-अलग मैदान में होंगे। इससे चुनावी समीकरण और दिलचस्प हो सकते हैं, क्योंकि पिछले चुनावों में कांग्रेस को मिले वोट अब गठबंधन न होने के चलते किस तरफ जाएंगे, यह देखने लायक होगा।
वोटरों को लुभाने का खेल वोटरों को अपनी तरफ आकर्षित करना भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए चुनौतीपूर्ण रहेगा। भाजपा, प्रदेश की सत्ताधारी पार्टी होने के नाते विकास के वादों के साथ चुनाव में उतरेगी। वहीं, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल भाजपा को एक बड़ी चुनौती के रूप में देखेंगे। ऐसे में वोटर भी यह सोचने को मजबूर होंगे कि विधानसभा में भाजपा के विधायक का चयन उनके इलाके के विकास में मददगार हो सकता है।
- Advertisement -
विरासत की राजनीति का प्रभाव
- दौसा: कांग्रेस विधायक मुरारी लाल मीणा के सांसद बनने के बाद यह सीट खाली हुई। उनके परिवार से पत्नी सविता मीणा और बेटी टिकट की दावेदार हैं। भाजपा से डॉ. किरोड़ी लाल मीणा के भाई जगमोहन मीणा भी दावेदारी में हैं।
- झुंझुनू: कांग्रेस विधायक बृजेन्द्र ओला के सांसद बनने से सीट खाली हुई। उनके पुत्र अमित ओला कांग्रेस से टिकट की दौड़ में हैं। भाजपा से 2023 के चुनाव में हारे निशित चौधरी फिर से दावा कर रहे हैं।
- सलूंबर: दिवंगत विधायक अमृतलाल मीणा के निधन के बाद यह सीट खाली हुई। भाजपा उनके परिवार को टिकट देकर सहानुभूति लहर का फायदा उठा सकती है। कांग्रेस की ओर से दिग्गज नेता रघुवीर मीणा दावेदारी में हैं।
- खींवसर: हनुमान बेनीवाल की परंपरागत सीट पर उनके परिवार से फिर दावेदारी हो सकती है। उनके भाई नारायण बेनीवाल पहले विधायक रह चुके हैं। इस बार हनुमान की पत्नी भी संभावित दावेदार हैं। वहीं, मिर्धा परिवार से ज्योति मिर्धा एक बार फिर चुनावी दौड़ में हैं।
- चौरासी: यह सीट भारतीय आदिवासी पार्टी (बीएपी) का गढ़ है। बीएपी के विधायक राजकुमार रोत के सांसद बनने के बाद सीट खाली हुई है। बीएपी ने यहां पहले ही अपनी चुनावी तैयारी शुरू कर दी है।
- रामगढ़: कांग्रेस विधायक जुबेर खान के निधन के बाद यह सीट उपचुनाव के लिए खाली हुई। यहां कांग्रेस से इमरान बड़े दावेदार हैं, वहीं भाजपा बागी सुखविंदर को मैदान में उतार सकती है।
इन उपचुनावों में बड़े राजनीतिक परिवारों की भागीदारी और दावेदारी से सियासी समीकरण और दिलचस्प हो गए हैं, जिससे वोटरों के रुझान पर नजरें टिकी रहेंगी।
