


एसएमई (SME) आईपीओ में निवेश करने वालों के लिए बड़ी खबर है। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने ट्रैफिकसोल आईटीएस टेक्नोलॉजीज लिमिटेड (Trafiksol ITS Technologies) द्वारा आईपीओ दस्तावेजों में किए गए खुलासों की विस्तृत जांच करने का फैसला किया है। साथ ही SEBI ने बीएसई (BSE) को कंपनी के शेयरों की लिस्टिंग पर रोक लगाने का निर्देश दिया है, जब तक कि जांच पूरी नहीं हो जाती।
Disclaimer Note: इस लेख में दी गई जानकारी केवल सूचना के उद्देश्य से है और इसे निवेश संबंधी सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श अवश्य करें। बाजार में निवेश जोखिम के अधीन है, और निवेशकों को अपने विवेक से निवेश करना चाहिए।
विशेष खाते में रखी जाएगी राशि:
SEBI ने अपने अंतरिम आदेश में BSE को निर्देश दिया है कि आईपीओ से प्राप्त राशि को ब्याज वाले विशेष खाते में रखा जाए और कंपनी या उसके सहयोगियों को तब तक यह धनराशि न दी जाए जब तक आगे की सूचना नहीं मिलती। SEBI की यह जांच 30 दिन में पूरी होने की संभावना है। बीएसई ने निवेशकों की चिंताओं के कारण ट्रैफिकसोल की लिस्टिंग को स्थगित कर दिया था, और अब SEBI ने भी इसके एक महीने बाद यह फैसला लिया है।
वेंडर पर शंका:
SEBI को संदेह है कि ट्रैफिकसोल का वेंडर एक शेल कंपनी हो सकता है। कंपनी ने आईपीओ से जुटाई गई 17.70 करोड़ रुपये की राशि का उपयोग सॉफ्टवेयर खरीदने में करने का दावा किया था, जबकि वेंडर के पास सॉफ्टवेयर व्यवसाय से जुड़ी कोई प्रमाणिक जानकारी नहीं है और उसका दफ्तर भी बंद पाया गया है। इसके अलावा, वेंडर ने पिछले तीन वर्षों का ऑडिटेड खाता RoC में नहीं दिया था और इसे इस साल सितंबर में साइन किया गया।
345 गुना सब्सक्रिप्शन:
ट्रैफिकसोल आईटीएस टेक्नोलॉजीज के आईपीओ को 345 गुना से अधिक सब्सक्राइब किया गया था, लेकिन अब कंपनी पर गलत जानकारी देकर आईपीओ से जुटाई गई राशि में हेरफेर करने का आरोप है।
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IPO से पहले ऑडिट की गड़बड़ी:
कंपनी ने अपने पिछले तीन वर्षों के वित्तीय दस्तावेजों को IPO खुलने से केवल एक सप्ताह पहले साइन करवाया था। इससे पहले, कंपनी ने पिछले साल की आय को शून्य दिखाया था और जीएसटी रजिस्ट्रेशन भी इस साल जनवरी में किया गया था, जिसमें कंपनी ने अपने व्यवसाय को ट्रेड रिटेलर बताया था।
Source: ZeeBusiness Hindi