

56 साल बाद आए दो सैनिकों के शव: एक भतीजे की भावनाएँ
यह कहानी एक दिल दहला देने वाली त्रासदी से शुरू होती है, जिसका रहस्य 56 सालों तक छुपा रहा। जैसे ही यह रहस्य खुलता है, यह पता चलता है कि इंतज़ार करने वालों में से कई अब इस दुनिया में नहीं हैं।
एक अद्वितीय इंतज़ार
बसंती देवी, जिनका विवाह 15 साल की उम्र में नारायण सिंह बिष्ट से हुआ था, अब इस दुनिया में नहीं रहीं। उनकी ज़िंदगी का सफर इस इंतज़ार के साथ गुजरा कि उनका पति कभी लौटेगा।
कहानी की शुरुआत
इस कहानी की शुरुआत होती है थॉमस चेरियन से, जिन्होंने अपने परिवार के लिए 56 साल का लंबा इंतज़ार सहा। चेरियन एक सैनिक थे, जो 1968 में एक विमान दुर्घटना में मारे गए थे। जब उनके शव की खोज की गई, तो यह परिवार के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण था।
परिवार की संवेदनाएँ
केरल के पथनमथिट्टा का ओदालिल परिवार हमेशा चेरियन को याद करता रहा। जब कभी परिवार में कोई खुशी का पल आता, वे सोचते, “काश! थॉमस हमारे साथ होते।”
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दुख का अहसास
चेरियन के माता-पिता, ओ.एम. थॉमस और एलियाम्मा, अपने बेटे को देखने की आस में ही चल बसे। उनके छोटे भाई थॉमस ने कहा, “जब हमें पता चला कि चेरियन का शव मिल गया है, तो ऐसा लगा जैसे हमें ज़िंदगी का सब कुछ मिल गया।”

शव की पहचान
चेरियन के शव की पहचान उसकी वर्दी पर लिखे नाम ‘थॉमस सी’ से हुई, जबकि बाकी अक्षर गायब हो गए थे। इस घटना ने परिवार को एक नई उम्मीद दी, जबकि नारायण सिंह बिष्ट के भतीजे जयवीर सिंह की भावनाएँ और भी गहरी थीं।
नारायण सिंह का कष्ट
जयवीर सिंह ने कहा, “अगर नारायण सिंह जीवित होते, तो वह मेरे पिता होते।” उनका परिवार नारायण के लापता होने के बाद भी उम्मीदें बनाए रखता रहा, लेकिन समय के साथ वह उम्मीद भी खत्म होती गई।
एक नई कहानी की शुरुआत
56 साल बाद जब इन सैनिकों के शव मिले, तो उनके परिवार ने एक नए अध्याय की शुरुआत की। अंत में, ये सैनिक एक बार फिर अपने परिवारों के पास आए, लेकिन इस बार केवल यादों के रूप में।
इस कहानी ने सभी को यह सिखाया कि सेना के प्रति श्रद्धा और समर्पण कभी खत्म नहीं होता।