


पंछी, नदियां, पवन के झोंके—कोई सरहद इन्हें नहीं रोक सकती। यह गाना रिफ्यूजी फिल्म से हमें याद दिलाता है कि कैसे कबूतरों ने विश्वयुद्ध के दौरान संदेश पहुंचाने का काम किया। लेकिन अब समय बदल चुका है। आज के परिंदे सीधे जंग के मैदान में उतर रहे हैं, और भारतीय सेना ने ऐसा ही एक परिंदा दिखाया है।
राजस्थान के बीकानेर में भारत और अमेरिका की सेनाएं आतंकवाद के खिलाफ एक जॉइंट ऑपरेशन चला रही हैं। इस ऑपरेशन के अंतिम दिन, भारतीय सेना के प्रशिक्षित बाज ‘अर्जुन’ ने सर्विलांस का प्रदर्शन किया। ‘अर्जुन’ के सिर पर एक कैमरा और पीठ पर जीपीएस चिप लगी थी, जिसने गांव में उड़ान भरकर आतंकियों की सटीक पोजीशन की लाइव जानकारी दी।
इस युद्ध अभ्यास का उद्देश्य आतंकवाद विरोधी अभियानों के लिए दोनों सेनाओं की संयुक्त सैन्य क्षमता को बढ़ाना है। किसी भी युद्ध में, सेना को दुश्मन की हरकतों पर पहले से निगरानी रखनी होती है। अब यह काम भारतीय जांबाज परिंदा ‘अर्जुन’ करेगा।

जैसे ही ‘अर्जुन’ दुश्मन के ठिकाने के ऊपर पहुंचा, उसके सिर पर लगे कैमरे ने उसके हैंडलर को आतंकी ठिकाने की तस्वीरें भेजनी शुरू कर दीं। इससे हैंडलर को आतंकियों की संख्या और उनके पास मौजूद हथियारों की जानकारी मिली। इसके बाद सेना के जवानों ने बिल्डिंग को घेर लिया और कुछ देर की फायरिंग के बाद आतंकियों पर काबू पा लिया।
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भविष्य की जंग अब कन्वेंशनल वॉर से बिलकुल अलग होगी। स्पेस वॉर, साइबर, और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी तकनीकें अब युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने लगी हैं। इसी दिशा में भारत की तैयारी शुरू हो गई है, और आसमान में उड़ने वाले बाज को गैजेट्स लगाकर ड्रोन के खतरों से निपटने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है।