बिना फोन बजे घंटी सुनाई देना
बिना फोन बजे भी कानों में रिंगटोन सुनाई देते रहने के पीछे क्या कारण है, इसे समझने के लिए हमने भोपाल स्थित वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ सत्यकांत त्रिवेदी से बातचीत की। डॉ सत्यकांत बताते हैं, अस्पतालों में मोबाइल फोन से संबंधित कई तरह के विकारों के मरीज बढ़ रहे हैं। इसके सबसे ज्यादा शिकार 20-30 की आयु वाले युवा देखे जाते हैं, कुछ मामलों में 40 की उम्र तक के लोग भी इसका शिकार हो सकते हैं।
ऐसी चीजों का अनुभव करना जो असल में है ही नहीं, जैसे बिना फोन बजे घंटी सुनाई देते रहना या बार-बार वाइब्रेशन जैसा अनुभव होते रहने को मनोचिकित्सा की भाषा में फैंटम वाइब्रेशन सिंड्रोम (पीवीएस) की समस्या के रूप में जाना जाता है।
क्या कहते हैं मनोचिकित्सक?
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डॉक्टर सत्यकांत बताते हैं, मोबाइल फोन के अत्यधिक उपयोग के कारण फैंटम वाइब्रेशन सिंड्रोम एक उभरता हुआ विकार है। लोगों को लगता है कि उनका सेल फोन वाइब्रेट या रिंग कर रहा है, लेकिन वास्तव में ऐसा होता नहीं है। ये असल में मनोवैज्ञानिक या तंत्रिका संबंधी परिवर्तनों से संबंधित स्थिति है। पीवीएस की समस्या चिंता, अवसाद और भावात्मक विकारों को भी जन्म दे सकती है। अगर फैंटम वाइब्रेशन सिंड्रोम का ठीक से इलाज न किया जाए तो लोगों में बर्नआउट सिंड्रोम हो सकता है।
मस्तिष्क से संबंधित समस्या
स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं, पीवीएस की समस्या उन लोगों में अधिक देखी जाती रही है जो फोन पर बहुत अधिक समय बिताते हैं। कुछ स्थितियों में मस्तिष्क में सेरेब्रल कॉर्टेक्स की समस्या और ह्यूमन सिग्नल को पहचानने संबंधी दिक्कतों के कारण भी ये समस्या हो सकती है। सेरेब्रल कॉर्टेक्स मानव मस्तिष्क की उच्च-स्तरीय प्रक्रियाओं के लिए जिम्मेदार है, जिसमें भाषा, स्मृति, तर्क, विचार, सीखना, निर्णय लेना, भावना, बुद्धि और व्यक्तित्व शामिल है।
इसके अलावा ‘अटैचमेंट एंग्जाइटी’ जो कि एक मनोवैज्ञानिक स्थिति है, जिसमें पारस्परिक संबंधों में भय, चिंता या असुरक्षा की भावना बढ़ जाती है, इसके शिकार लोगों में भी फैंटम वाइब्रेशन सिंड्रोम की दिक्कत हो सकती है।
इस विकार से कैसे बचें?
डॉ सत्यकांत त्रिवेदी कहते हैं, फैंटम वाइब्रेशन सिंड्रोम की समस्या किसी को भी हो सकती है, इससे बचने के लिए जरूरी है कि फोन पर अपनी निर्भरता को सीमित किया जाए। डिजिटल डिवाइस पर कम समय बिताने की आदत बनाएं। फोन के नोटिफिकेशन से ध्यान हटाने के लिए वास्तविक जीवन और लोगों से मिलकर बातचीत करने पर अधिक जोर दें।
मोबाइल फोन्स का बढ़ता इस्तेमाल कई प्रकार के विकारों के जोखिमों को बढ़ाता जा रहा है। खेल-कूद, व्यायाम की आदत के साथ आभासी लोगों से दूरी और वास्तविक लोगों से अच्छे संबंध रखना इन विकारों से बचाने में आपके लिए मददगार हो सकत है।

