हरे कटहल के आटे से मधुमेह में लाभ के प्रमाण
पिछले अध्ययन में वैज्ञानिकों ने बताया था कि हरे कटहल के आटे का इस्तेमाल करने से टाइप-2 डायबिटीज के रोगियों को काफी लाभ मिल सकता है। कटहल का आटा मधुमेह रोगियों में प्लाज्मा शर्करा के स्तर को कम करने और ग्लाइकोसिलेटेड हीमोग्लोबिन (HbA1c) को नियंत्रित करने में काफी कारगर गया था। ग्लाइकोसिलेटेड हीमोग्लोबिन का बढ़ना, मधुमेह का संकेत माना जाता है।
अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन सम्मेलन में टाइप-2 डायबिटीज को नियंत्रित करने वाले पेटेंटेड हरे कटहल के आटे पर नैदानिक परीक्षण के चार साल बाद हालिया अध्ययन में इसे फैटी लीवर और मोटापे को रोकने में भी कारगर बताया गया है।
शोधकर्ताओं में से एक और हरे कटहल का आटा बनाने वाली कंपनी के संस्थापक जेम्स जोसेफ कहते हैं, इस अध्ययन के परिणाम काफी बेहतर रहे हैं। आहार में छोटा सा बदलाव करके हम एक साथ तीन स्वास्थ्य समस्याओं को लक्षित कर सकते हैं।
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मोटापा और फैटी लिवर में भी मिलता है लाभ
अमेरिकन सोसाइटी फॉर न्यूट्रिशन (एएसएन) सम्मेलन में इस अध्ययन के साक्ष्य प्रस्तुत किए गए हैं। जेएसएस मेडिकल कॉलेज, मैसूर में जैव रसायन विभाग की प्रोफेसर और वैज्ञानिक डॉ दिव्या पी. कुमार के नेतृत्व में ये अध्ययन किया गया है। चूहों पर किए गए इस शोध में पता चला है कि हरे कटहल के आटे के तीन महीने सेवन से न सिर्फ शरीर के वजन में वृद्धि को काफी हद तक रोका जा सकता है साथ ही ये लिवर में फैट जमने की समस्या को कम करने में भी प्रभावी है।
शोध की रिपोर्ट में डॉ दिव्या ने बताया, गेहूं के आटे के साथ प्लेसबो समूह की तुलना में इससे इंसुलिन संवेदनशीलता में भी सुधार देखा गया है। इससे इंफ्लामेशन और लिपोजेनेसिस मार्करों में भी काफी कमी आ सकती है।
कटहल के आटे से कई प्रकार के लाभ
शोधपत्र में डॉ दिव्या बताती हैं, अध्ययन के आधार पर दो महत्वपूर्ण जानकारियां सामने आई हैं।
1. हरे कटहल के आटे से कैलोरी इंटेक तो कम होता ही है साथ ही ये डायबिटीज, मोटापा और फैटी लिवर जैसी तीन गंभीर समस्याओं को रोक सकता है।
2. हरे कटहल के आटे में 5.6% घुलनशील फाइबर होता है जो इसे काफी लाभकारी बनाता है। ये जई में उपलब्ध फाइबर से 50% अधिक है।
शोधकर्ता डॉ दिव्या बताती हैं, प्रीक्लिनिकल अध्ययन से पता चलता है कि हरे कटहल के आटे में मेटाबॉलिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने और लिवर को क्षति पहुंचाने वाले कारकों को कम करने के गुण हैं। जेएसएस अस्पताल में हेपेटोलॉजिस्ट और एंडोक्रिनोलॉजिस्ट के साथ मिलकर किए गए हरे कटहल के आटे के नैदानिक परिणाम मेरे लिए उत्साहजनक हैं। हम आगे कटहल के आटे से होने वाले मेटाबॉलिज्म और आणविक परिवर्तनों का पता लगाने के लिए शोध पर काम कर रहे हैं।
इंसानों में भी देखे गए बेहतर परिणाम, कितना आटा खाएं?
चूहों पर किए गए इस अध्ययन के परिणाम इंसानों पर कितने असरदार हैं, इसे जानने के लिए अहमदाबाद में मधुमेह और एंडोक्राइन विशेषज्ञ डॉ. विनोद अबीचंदानी ने 200 से अधिक रोगियों पर क्लीनिकल ऑब्जर्वेशन (अवलोकन) भी किया। इंसानों पर भी हरे कटहल के आटे के बेहतर परिणाम देखे गए।
डॉ विनोद कहते हैं, मैंने मधुमेह से पीड़ित अपने कम से कम 200 रोगियों को कटहल का आटा लेने की सलाह दी है। ये HbA1c, मोटापा, फैटी लिवर और सीरम ट्राइग्लिसराइड्स में अभूतपूर्व सुधार करने वाला पाया गया है। इस प्रीक्लिनिकल अध्ययन को अमेरिकन सोसाइटी फॉर न्यूट्रिशन कॉन्फ्रेंस में प्रस्तुत किया जाना बहुत उत्साहजनक है, जो पिछले तीन वर्षों से मेरे क्लिनिक में देखे गए परिणामों की भी पुष्टि करता है। आहार में इसे शामिल करना वास्तव में बेहतर परिणाम वाला पाया गया है। इस एक बदलाव से डायबिटीज के साथ मोटापा और बढ़ती फैटी लिवर की दिक्कत को कम करने में विशेष लाभ मिल सकता है।
विशेषज्ञ बताते हैं, इसे आहार में शामिल करना भी आसान है। हर मील में जितना आटा (गेंहू या अन्य) लेते हैं उसमें एक टेबल स्पून कटहल का आटा मिलाएं। पूरे दिन में एक व्यक्ति को तीन टेबल स्पून (करीब 30 ग्राम) कटहल का आटा सेवन करने की सलाह दी जाती है।

