


नरेंद्र मोदी तीसरे कार्यकाल में कब तक प्रधानमंत्री रहेंगे और किस तेवर के साथ काम करेंगे, यह अब नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू पर निर्भर करेगा.
पिछले दो बार से केंद्र में बीजेपी को अपने दम पर बहुमत मिल रहा था लेकिन इस बार किसी तरह एनडीए को मिला है. ऐसे में मोदी को अपने कई एजेंडे किनारे रखने पड़ सकते हैं.
बीजेपी को 240 सीटों पर जीत मिली है और बहुमत के लिए 272 का आँकड़ा चाहिए. हालांकि एनडीए को 293 सीटें मिली हैं और यह सरकार बनाने के लिए पर्याप्त है.
चंद्रबाबू नायडू की तेलगू देशम पार्टी और नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड ने मिल कर 28 सीटें जीती हैं और एनडीए को बहुमत के आँकड़े तक ले गई हैं.
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वहीं इंडिया गठबंधन बहुमत से 40 सीटें पीछे रह गया है.
नरेंद्र मोदी के लिए ये स्थिति बहुत सहज नहीं है, बतौर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने पहले दो कार्यकाल में काफ़ी मज़बूत स्थिति में थे.
नरेंद्र मोदी के पास गठबंधन सरकार चलाने का अनुभव भी नहीं है. गुजरात में जब वह मुख्यमंत्री थे, तब भी प्रचंड बहुमत वाली सरकार थी.
हक़ीक़त यह है कि बीजेपी की कमान मोदी के पास आने के बाद से एनडीए का कुनबा छोटा होता गया. अकाली दल और शिव सेना बीजेपी के दशकों पुराने सहयोगी रहे थे लेकिन दोनों कब का अलग हो चुके हैं.
इस बार जब नरेंद्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बनेंगे तो उन्हें सरकार चलाने के लिए सबको साथ लेकर चलना होगा.
उनके सामने सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी और चुनौती होगी, चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार को अपने साथ लेकर चलना.

नरेंद्र मोदी के दिल्ली आने के बाद नीतीश कुमार और नायडू के संबंध बीजेपी से बहुत कड़वाहट भरे भी रहे हैं.
नायडू और नीतीश 2014 में नरेंद्र मोदी के पहली बार प्रधानमंत्री बनने पर बीजेपी के विरोधी खेमे में रह चुके हैं और इस लोकसभा चुनाव से ठीक पहले एनडीए में वापसी की है.
नायडू और नीतीश का रुख़ क्या होगा?
जब मंगलवार की देर शाम नरेंद्र मोदी ने बीजेपी मुख्यालय से अपने कार्यकर्ताओं और समर्थकों को संबोधित किया तो वहाँ उन्होंने ख़ासतौर पर एनडीए की इस जीत में चंद्रबाबू नायडू की आंध्र में बड़ी जीत और नीतीश कुमार की बिहार में जीत का ज़िक्र किया.
आंध्र में तेलगू देशम के पक्ष में फ़ैसला आने के बाद एक्स पर चंद्रबाबू नायडू ने लिखा था, “आंध्र प्रदेश के लोगों ने हमें एक मज़बूत जनादेश दिया है. यह जनादेश हमारे गठबंधन और राज्य के लिए लोगों के विश्वास का प्रतिबिंब है. अपने लोगों के साथ मिलकर, हम आंध्र प्रदेश का पुनर्निर्माण करेंगे और इसके गौरव को फिर से स्थापित करेंगे.”
अपने ट्वीट में चंद्रबाबू नायडू ने तो एनडीए गठबंधन की बात कर दी लेकिन 12 सीटें जीतने वाले नीतीश कुमार ने अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.
अंग्रेज़ी अख़बार द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक़ मंगलवार को बिहार बीजेपी के अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने कई बार नीतीश कुमार से मिलने की कोशिश की लेकिन नीतीश कुमार उनसे नहीं मिले. सम्राट चौधरी से ना मिलने और कोई प्रतिक्रिया ना देने को लेकर चर्चा शुरू हो गई है.
ख़ास कर तब जब सोमवार को कांग्रेस दफ्तर में कई नेताओं ने चेहरे पर मुस्कान के साथ ये कहा- “नीतीश जी सबके हैं.” चर्चा ये भी है कि इंडिया ब्लॉक ने नीतीश कुमार को अप्रोच किया है.
हालांकि मंगलवार की शाम को जेडीयू के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने ये ज़रूर कहा कि “ हम एनडीए के साथ थे और एनडीए के साथ ही आगे भी रहेंगे.”