


नेपाल के नए नक़्शे के साथ जारी किए जाने वाले 100 रुपये के नोटों की छपाई को लेकर भारत की नाराज़गी पर प्रधानमंत्री पुष्प कुमार दाहाल ‘प्रचंड’ की सरकार ने कहा है कि इस फ़ैसले में नया कुछ नहीं है.
नेपाल सरकार की प्रवक्ता और प्रचंड कैबिनेट में सूचना एवं संचार मंत्री रेखा शर्मा ने कहा है कि ये एक नियमित प्रक्रिया है.
बीबीसी न्यूज़ नेपाली से बात करते हुए उन्होंने कहा, “नेपाल राष्ट्र बैंक में पुराने नक़्शों वाले बैंक नोट ख़त्म होने वाले हैं, इसलिए उन्हें नए नोट छापने की अनुमति दी गई है.”
उन्होंने कहा, “हमारे पास 100 के पुराने नोट खत्म होने वाले हैं. चूंकि पिछले डिज़ाइन में पुराना नक़्शा था, इसलिए जब हमने उसे छापा तो ऐसा लगा जैसे हमें नए नक़्शे के बारे में मालूम नहीं है. यह एक नियमित प्रक्रिया है क्योंकि नोटों के डिज़ाइन को बदलने का निर्णय कैबिनेट को लेना है. इससे अधिक कुछ नहीं, नेपाल सरकार के इस फ़ैसले पर भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, “नए नोटों में दोनों देशों के बीच विवादित क्षेत्र का नक़्शा शामिल करने के नेपाल के एकतरफ़ा फ़ैसले का वास्तविक स्थिति पर कोई असर नहीं पड़ेगा.”
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उन्होंने आगे कहा, “हमारी स्थिति बहुत स्पष्ट है. हम एक स्थापित मंच से अपनी सीमाओं के बारे में बात कर रहे हैं, लेकिन इस बीच, उन्होंने जो एकतरफ़ा फैसला लिया, वह हमारे बीच की स्थिति या उस जगह की वास्तविकता को नहीं बदल सकतापिछले गुरुवार की कैबिनेट बैठक में नेपाल राष्ट्र बैंक को देश के नए नक़्शे के साथ सौ रुपये के नोट छापने की मंज़ूरी देने का फ़ैसला किया गया था.
एक और जहां नेपाल सरकार के इस फ़ैसले से भारत सरकार में नाराज़गी है, वहीं नेपाल के ही कूटनीति और अर्थव्यवस्था के कुछ विशेषज्ञों ने भी इसे प्रचंड सरकार का ‘अपरिपक्व’ क़दम बताया है.

नेपाल ने साल 2020 के जून महीने में देश का आधिकारिक मानचित्र जारी किया था जिसमें कालापानी, लिम्पियाधुरा और लिपुलेख को दिखाया गया है.
इसी महीने नेपाल ने संविधान में संशोधन किया और उसके बाद से देश के आधिकारिक दस्तावेज़ों और मोहरों में नए नक़्शे का इस्तेमाल किया जा रहा है.
कुछ विशेषज्ञों के अनुसार, सरकार का ये फ़ैसला, “केवल लोकप्रियता के लिए लिया गया” था.
विशेषज्ञों ने कहा कि चार साल पहले जारी नेपाल के नए नक़्शे को कोई ख़ास अंतरराष्ट्रीय मान्यता नहीं मिल पाई है..