


बीकानेर। प्रदेश में न तो उपभोक्ता जागरूक है और न ही एलपीजी गैस कंपनियों को उनकी चिंता है। नियमानुसार हर उपभोक्ता को पांच साल में रसोई गैस कनेक्शन की सुरक्षा जांच करवाना अनिवार्य है, लेकिन पिछले पांच साल में प्रदेश में कुल 1 करोड़ 77 लाख कनेक्शन में से सिर्फ 15.20 लाख उपभोक्ताओं ने ही सुरक्षा जांच करवाई है। इस तरह करीब 1.62 करोड़ कनेक्शन खतरे की जद में है। यदि रसोई गैस कनेक्शन में किसी तकनीकी खामी की वजह से हादसा हो जाता है तो सुरक्षा जांच के अभाव में पीड़ित को मुआवजा नहीं मिलेगा, जबकि इस तरह के हादसे गैस कंपनियां मृत्यु हो जाने पर 6 लाख रुपए तक का मुआवजा देती है।
यूं तो गैस कंपनियों की जिम्मेदारी है कि वे स्वयं अधिकृत उपभोक्ता के घर जाकर जांच करे, लेकिन उपभोक्ता भी अपने वितरक को सूचना देकर अपने यहां जांच करवा सकता है। जांच के लिए वितरक का मैकेनिक उपभोक्ता के घर पर आकर गैस चूल्हा, रबर पाइप, रेगुलेटर, सिलेंडर तथा संबधित सभी उपकरणों की बारीकी से जांच करता है। वह उपभोक्ता को रसोई गैस के सुरक्षित उपयोग की जानकारी देता है।
236 रुपए है जांच शुल्क
अनिवार्य सुरक्षा जांच के बदले रसोई गैस कंपनियां उपभोक्ता से जीएसटी समेत कुल 236 रुपए शुल्क लेती है। इसकी रसीद भी दी जाती है। यदि रसोई गैस उपकरणों में किसी तकनीकी खामी या खराबी की वजह से कोई हादसा होता है तो यह जांच रसीद बीमा क्लेम के काम आती है। साथ ही गैस कंपनियां उपभोक्ता और उनके परिजन का निशुल्क बीमा करती है। यदि कोई हादसा हो जाता है तो वह जांच के बाद हादसे की गंभीरता के मद्देनजर मुआवजा तय करती है। यदि किसी की मौत हो जाती है तो वह अधिकतम 6 लाख रुपए तक प्रति व्यक्ति भुगतान करती है।
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फर्जी मैकेनिकों की हो रही चांदी
वितरकों के अनुसार कई फर्जी लोग खुद को कंपनी का मैकेनिक बताकर घरों में कनेक्शनों की जांच कर जाते है। वे जांच की राशि की खुद की छपी हुई रसीद दे जाते हैं, लेकिन यह जांच मान्य नहीं होने से कंपनी के रिकॉर्ड में दर्ज नहीं होती। उपभोक्ता को चाहिए कि यदि कोई मैकेनिक उनके घर आ रहा है तो वह एक बार वितरक को फोन कर उसके बारे में पता कर ले।