


बीकानेर। देश का हर शहर स्वच्छता सर्वेक्षण में अपना स्तर सुधारने में जी जान से जुटा है। तमाम शहरों का स्तर सुधरा भी लेकिन बीकानेर उल्टी धारा में चल रहा है। 2020 में जिस बीकानेर का पूरे देश में 179वां स्थान था वो सिर्फ तीन साल में अब 342वें पायदान पर पहुंच गया। देश के 446 शहरों में बीकानेर 342 पायदान पर आया। प्रदेश में बीकानेर का स्थान 18वां हैं। इस साल स्वच्छता सर्वेक्षण 9500 अंकों का था। बीकानेर को इसमें से सिर्फ 2784.4 अंक ही मिले। यानी एक तिहाई से भी कम। इससे शहर की दशा भी स्पष्ट हो गई कि बीकानेर शहर के हालात क्या हैं।
हैरानी की बात ये है कि जिस कचरा कलेक्शन के लिए हर साल करीब 12 करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं उसमें भी सिर्फ 46 प्रतिशत ही कलेक्शन सर्वेक्षण टीम ने माना है। यानी आधे शहर से कचरा कलेक्शन उठ ही नहीं रहा। सेग्रीगेशन सोर्स में सिर्फ 2 प्रतिशत का ही काम माना गया। रिहायशी इलाकों में सफाई 44 प्रतिशत, बाजारों में सफाई 43 प्रतिशत, जलस्रोतों की सफाई में 100 प्रतिशत अंक मिले। पब्लिक टॉयलेट की सफाई में 25 प्रतिशत ही माना गया। यानी शहर से ना तो पूरा कचरा उठ रहा। ना बाजारों और रिहायशी इलाकों की सफाई हो रही।
