


नईदिल्ली। वैज्ञानिकों को सूरज पर एक बहुत बड़ा छेद दिखा है। यह सूरज की भूमध्यरेखा पर बना है। इसकी खोज 2 दिसंबर 2023 को हुई है, लेकिन यह 24 घंटे में तेजी से फैलते हुए 8 लाख किलोमीटर चौड़ा हो गया। यानी इतनी चौड़ाई में 60 धरती समा जाए। वैसे तो यह अस्थाई छेद है. लेकिन वैज्ञानिक इसके अचानक बनने से हैरान-परेशान है। इस छेद से भयानक स्तर का रेडिएशन निकल रहा है, जो तेजी से धरती की तरफ आ रहा है। इस छेद को कोरोनल होल कहते है। 24 घंटे तक फैलने के बाद इस छेद की दिशा अगले 24 घंटे में यानी 4 दिसंबर को धरती की तरफ हो गई यानी यह छेद सीधे धरती की तरफ देख रहा है। कोरोनल होल्स तब बनते हैं कि सूरज को एक ही जगह पर थामे रखने वाली मैग्नेटिक फील्ड अचानक से फट पड़ती है तो गैप वाली जगह पर गहरे रंग का छेद हो जाता है. यानी सूरज की सतह पर जो गर्म हीलियम रिएक्ट कर रहा होता है, वो थोड़ी देर के लिए उस जगह से हट जाता है। इस छेद से फिर तेजी से भयानक सुपरफास्ट रेडिएशन निकलता है।
सौर हवा से तेज निकलता है इस छेद से निकलने वाला रेडिएशन

ये सूरज की चमकती सतह पर काले रंग के धब्बों की तरह दिखते हैं। जिन्हें सनस्पॉट कहते हैं, लेकिन ये आपको खुली आंखों से नहीं दिखाई पड़ते. इन्हें देखने के लिए अल्ट्रावॉयलेट लाइट का सहारा लेना पड़ता है। इन डार्क स्पॉट से निकलने वाली रेडिएशन साधारण सोलर विंड यानी सौर हवा से कई गुना तेज चलती है। पिछली बार इस साल मार्च में इस तरह का छेद बना था. वहां से रेडिएशन निकल कर धरती तक आया था। यह छह साल में आया सबसे भयानक जियोमैग्नेटिक तूफान था। इस छेद से स्तर का जियोमैग्नेटिक तूफान आ सकता है। इसकी वजह से धरती पर रेडियो ब्लैकआउट हो सकता है. या फिर अगले कुछ दिनों में ध्रुवों पर अरोरा देखने को मिल सकता है। इन्हें नॉर्दन लाइट्स भी कहते हैं।