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Khabar21 > Blog > जयपुर > शारदीय नवरात्र से ठीक एक दिन पहले सूर्यग्रहण, 178 साल बाद सूर्य और बुध होंगे एक साथ
जयपुरराजस्थान

शारदीय नवरात्र से ठीक एक दिन पहले सूर्यग्रहण, 178 साल बाद सूर्य और बुध होंगे एक साथ

editor
editor Published October 12, 2023
Last updated: 2023/10/12 at 3:53 PM
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जयपुर। शारदीय नवरात्र से ठीक एक दिन पहले आश्विन कृष्ण अमावस्या पर शनिवार को साल का आखिरी कंकण सूर्यग्रहण होगा। भारत को छोडक़र यह ग्रहण अमरीका और अफ्रीका के कुछ हिस्सों के अलावा अन्य देशों में रात 8 बजकर 34 मिनट से मध्यरात्रि 2 बजकर 25 मिनट के मध्य अलग-अलग समय पर दिखाई देगा। ऐसे में इस ग्रहण का भारत में कोई असर नहीं होगा, वहीं यहां इसका सूतक भी नहीं लगेगा। इस दिन सर्व पितृ शनैश्चरी अमावस्या भी हैं।
ज्योतिषाचार्य डॉ. रवि शर्मा ने बताया कि कंकण सूर्यग्रहण भारत को छोडक़र उत्तरी व दक्षिणी अमेरिका के अधिकांश भाग के साथ अफ्रीका महाद्वीप के पश्चिमी भाग के कुछ क्षेत्र (सैनेगोल, मॉरिटेनिया आदि) में रात 8 बजकर 34 मिनट से मध्यरात्रि 2 बजकर 25 मिनट के मध्य अलग-अलग समय पर दिखाई देगा। इस ग्रहण का मध्य रात्रि 11 बजकर 30 मिनट के आसपास होगा। कंकण की अधिकतम अवधि 5 मिनट 21 सैकण्ड होगी। जो उत्तरी अमेरिका के सैन एस्ट्रोनियो, कार्पस क्रिस्टी, न्यू मैक्सिको व दक्षिणी अमेरिका के पनामा, मेडेलिन, पोपायान, कैरोलिना, साउसा आदि में दिखाई देगा।भारत में सूतक नहीं ज्योतिषाचार्य डॉ.अनीष व्यास ने बताया कि आश्विन मास की अमावस्या तिथि को लगने वाला सूर्य ग्रहण कन्या राशि और चित्रा नक्षत्र में लगेगा। यह कंकण सूर्यग्रहण होगा, जो वलयाकार नजर आएगा, हालांकि यह भारत में दिखाई नहीं देगा। जिन जगहों पर सूर्य ग्रहण दिखाई देता है, वहां ग्रहण शुरू होने से ठीक 12 घंटे पहले सूतक शुरू हो जाता है। भारत में कहीं भी ग्रहण नहीं दिखने के कारण इसका सूतक भी नहीं लगेगा।सूर्य और बुध एक साथ कन्या राशि में ज्योतिषाचार्य डॉ. महेन्द्र मिश्रा ने बताया कि साल के अंतिम सूर्य ग्रहण से एक दुर्लभ संयोग जुड़ा है। दरअसल, 178 साल बाद ऐसा सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है, जिस दिन सूर्य ग्रहण लग रहा है, उस दिन सूर्य और बुध एक साथ कन्या राशि में रहने वाले हैं। जिससे बुधादित्य योग का निर्माण होगा।शनि अमावस्या का संयोग ज्योतिषाचार्य डॉ. महेन्द्र मिश्रा ने बताया कि इस बार सर्वपितृ अमावस्या और सूर्यग्रहण का संयोग बन रहा है। शनिवार होने के कारण शनि अमावस्या का योग भी रहेगा। इस संयोग की वजह से देव पितृ कार्य करना और दान पुण्य करना सामान्य अमावस्या के अपेक्षा कई गुना अधिक फलदायी होगा। इस शुभ संयोग में पितरों की निमित्त जो कर्म किए जाएंगे, उनसे पितरों को संतुष्टि और मुक्ति मिलेगी।


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editor October 12, 2023
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