


पूगल । कस्बे में सायं एक दर्दनाक हादसे में अपने पिता के साथ बाज़ार जा रहे राह चलते एक 8-10 साल के मासूम कीपिकअप की जोरदार टकर से दर्दनाक मृत्यु हो गई। वार्ड नं. 6 का रहने वाला रविंद्र पुत्र चतरसिंह राठौड़ अपने पिता का इकलौता बालक था।एक क्षण में ही राठौड़ परिवार के घर का चिराग बुझ गया। घटनानुसारठ्ठ चतरसिंह अपने मासूम पुत्र के साथ बाज़ार जा रहा था, पूगल चौराहेपर बेतरतीब ट्रेफिक के चलते दोनों तरफ वाहनों की कतार लगी रहती है ऐसे में एक बेकाबू पिकअप ने एकाएक तेज गति से आकर टकरमारी जिससे मासूम रविंद्र को जोरदार चोट लगी। फौरन मासूम बालक को पूगल अस्पताल ले जाया गया लेकिन वहां भी अव्यवस्थाचरम पर थी। कोई डॉटर वहां ड्यूटी पर मौजूद नहीं था यहां तक कि इंजेशन लगाने वाला भी कोई नहीं मिला और देखते ही देखते मासूम रविंद्र अकाल मृत्यु का शिकार हो गया। उसके परिजनो की करुण चीत्कार सुनपत्थरदिल भी कांप उठे। सूचना मिलने पर अस्पताल पहुँचीपुलिस ने मृत बालक के शव को मुर्दाघर में रखवाया। वहीं यह दुर्घटना कारित करने वाली पिकअप को जत कर पुलिस थाने में रखा गयाहै। इस घटना के बाद पूगल में हौच पौच ट्रेफिक एवं अस्पताल की घोर अव्यवस्था को लेकर तीव्र आक्रोश व्याप्त हो गया। पूगल बाजार मेंवाहनों की रेलमेपल है वहीं ट्रेफिक पुलिस का अस्तित्व ही नदारद है ऐसे में तेज गति से मनमर्जी से दौड़ते वाहन कब किसकोअपनी चपेट में लेकर मौत के घाट उतार दें इसकी आशंका सदैव मंडराती रहती है। पूगल के मुय बाजार में अवैध कजों के कारण राहगीरोंके चलने हेतु बहुत कम स्थान बचा है, नागारिकों ने अवैध कजे हटाने की मांग बहुत बार की लेकिन प्रशासन कुंभकर्णी नींद में सोया पड़ा हैजिसका खामियाजा एक मासूम बालक की मृत्यु एवं एक परिवार का इकलौता चिरा$ग बुझ जाने की दुखद घटना के रूप में सामने आया।वहीं पूगल के अस्पताल में भी किसी हादसे के बाद फौरन ट्रीटमेंट की कोई कारगर व्यवस्था नहीं है, डॉटर ड्यूटी पर आते नहीं, न ही दवाइयां-इंजेशन आदि समय पर मिलते हैं जिनसे किसी घायल की जान बचाई जा सके। पूछते हैं पूगलवासी कि घोर समस्याओं से घिरे कस्बे मेंआखिर कब प्रशासन जागेगा और कब जन समस्याएं हल होंगी? आखिर कितनी मासूम मौतें होने के बाद कस्बे के हालात सुधरेंगे?पूगलवासी आखिर कब तक वोटों के सौदागरों की वहशत का शिकार होते रहेंगे?
