


बीकानेर। बीकानेर नहरबंदी का नाम सुनते ही लोगों में चिंता की लकीरें आ जाती हैं। चिंता उनकी ज्यादा बढ़ जाती है जिनके मकान टेल इलाके पर हैं। बीते दो साल में नहरबंदी से सबसे ज्यादा परेशानी टेल पर ही हुई। कई इलाकों में तो पूरे समय ही पानी नहीं पहुंचा। इसलिए टैंकर सप्लाई किए गए। पीएचईडी को इसके लिए कई जगह फीडर डायवर्ट करने थे तो कहीं लंबी लाइनों को शार्ट करना था। कुछ का साइज बढ़ाना था लेकिन ऐसा ना होने के कारण इस साल फिर 25 अप्रैल से लोगों को दिक्कत होनी तय है।
पीएचईडी की सूची में जो प्रमुख चिन्हित इलाके हैं उसमें रानीबाजार,पवनपुरी वल्लभ गार्डन इलाका, मरुधर कॉलोनी साउथ एक्सटेंशन, रामपुरा बस्ती की तीन गलियां, धोबीधोरा, रानीबाजार के अलावा इनसाइट सिटी में शीतलागेट के पास भट्टड़ों का इलाका, लक्ष्मीनाथ मंदिर के पास जीनगरों का इलाका, चौधरी कॉलोनी, पाबूबारी, पारीक चौक जैसे कुल 24 टेल इलाके हैं। कुछ जगह तो पाइप लाइन 50 साल पुरानी है जब पानी का लोड कम था लेकिन अब बस्ती घनी हुई और कनेक्शन बढ़ गए बावजूद इसके पाइप लाइन पुराने साइज की होने के कारण नलों से पानी नहीं आता।
कुछ जगह लाइन बहुत लंबी हो गई। दो किलोमीटर लंबी एक लाइन होने और उस पर लगातार लोड बढऩे के कारण संकट बढ़ रहा है। इसे बाइफरकेट करना था। कुछ जगह नए फीडर लगाने थे। कुछ जगह बूस्टर चेंज करके पानी का फ्लो बढ़ाना था। ये ज्यादातर काम पेंडिंग होने के कारण समस्या पिछले साल इतनी हुई कि कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रशासन चिंतित हो गया। इस साल फिर 25 अप्रैल से जैसे ही पूर्ण नहरबंदी होगी तो इन इलाकों में जल संकट बढऩे के आसार हैं। पीएचईडी के पास अभी एक महीने का वक्त है। अगर इस बीच हालात नहीं सुधरे तो पूरे महीने दिक्कत होनी तय है।
पीएचईडी जिन दो साल में काम होने के कारण अभी काम अटकाए है तो आने वाले दो से तीन साल में काफी चीजें बदलेंगी। सबसे पहले तो अगले साल से इतनी लंबी नहरबंदी नहीं होगी। 65-65 दिन की नहरबंदी का ये तीसरा साल है। अगले साल से इतनी बड़ी नहरबंदी नहीं होगी। होगी भी तो बमुश्किल 15 दिन की पू्र्ण नहरबंदी। इसके अलावा बीकानेर दो और नए जलाशय बनकर तैयार हो जाएंगे। तीन साल में चालू पीएचईडी का काम काफी हद तक इतना हो जाएगा कि पीने के पानी की दिक्कत नहीं होगी। करीब 15 नई टंकियां बनेंगी। ऐसे में दो से तीन सालों में तो हालात बदल जाएंगे लेकिन बीते दो सालों से जो लोगों को दिक्कत हो रही उसका सॉल्यूशन कोई नहीं निकाल रहा।
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पायलट प्रोजेक्ट के कारण खर्चे से बच रहा पीएचईडीसरकार ने शहर में साल 2050 तक की आबादी के लिए 872 करोड़ का जो प्रोजेक्ट मंजूर किया है उसके पहले चरण का काम शुरू हो गया। उसमें कई पानी की टंकियां बननी है। नई लाइनें बिछानी हैं। काफी बदलाव होगा लेकिन उसे पूरा होते-होते अभी तीन साल के करीब लगेंगे। पीएचईडी इसलिए अभी बजट नहीं लगाना चाहती क्योंकि दो से तीन साल में काफी चीजों में सुधार हो जाएगा लेकिन लोगों की समस्या ये है कि हर नहरबंदी में उन्हें पानी की बूंद-बूंद के लिए जूझना पड़ता है।
मेरे पास भी ऐसे इलाके चिन्हित हैं जहां टेल होने के कारण नहरबंदी में दिक्कत होती है। विभाग कई जगह काम करवा रहा है। हाल ही एक लाइन बाइफरकेट कराई जिससे पाबूबारी और पारीक चौक की समस्या दूर होगी लेकिन कुछ काम ऐसे हैं जो अभी संभव नहीं है जिसमें नई टंकियों की मांग शामिल है। विभाग पूरी कोशिश कर रहा कि नहरबंदी में प्रत्येक घर तक पानी पहुंचे। – राजेश राजपुरोहित, अधीक्षण अभियंता पीएचईडी