


नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बुधवार सुबह 11 बजे अपना 5वां और देश का 75वां बजट पेश करेंगी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु और कैबिनेट ने बजट को औपचारिक मंजूरी दे दी है। वित्त मंत्री कैबिनेट मीटिंग में शामिल होने के लिए संसद भवन पहुंच चुकी हैं।
वित्त राज्य मंत्री भागवत कृष्णा यह कहकर पॉजिटिव संकेत दे चुके हैं कि बजट सबकी उम्मीदों पर खरा उतरेगा। इसका असर शेयर मार्केट पर भी दिखा। मार्केट खुलते ही सेंसेक्स में 400 पॉइंट की तेजी नजर आई।
वैसे भी निर्मला सीतारमण पिछले 4 बजट में कुछ न कुछ नया करती आई हैं। चाहे वो ब्रीफकेस से बही-खाता हो, पेपर लेस बजट हो या फिर सबसे लंबा बजट भाषण। इस बार का पता नहीं। कुछ खास हो सकता है।
वजह तीन हैं
1. इस साल 9 राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं।
2. अगले साल लोकसभा चुनाव है, तो उससे पहले ये आखिरी फुल बजट है।
3. सरकार के पास देश को बताने और जताने का बड़ा इंस्ट्रूमेंट होता है बजट।
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अब उम्मीदों वाली बात
1. इनकम टैक्स: 8 साल हुए, तब से कुछ नहीं बदला। तो इस बार टैक्स में छूट का दायरा बढ़ सकता है। बात आखिर 8 करोड़ से ज्यादा टैक्स पेयर्स की है।
2014 में छूट की सीमा ढाई लाख की गई थी। इसे 5 लाख किया जा सकता है। छूट बढ़ी तो लोअर इनकम क्लास को राहत मिलेगी। बाजार में भी चंद पैसे आएंगे। इकोनॉमी को सपोर्ट मिल सकता है।
2. महंगाई: गैस सिलेंडर 1100 रुपए का हो चुका है। कुछ जाने-माने लोग कह रहे हैं कि इनकी कीमतें कम करने का इंतजाम हो सकता है। उज्ज्वला योजना 9.58 करोड़ लोगों के पास है। इन्हें एक सिलेंडर पर 200 रुपए की सब्सिडी पिछले साल मई से दी जा रही है। इसे एक साल और बढ़ाया जा सकता है।
बात 22 जुलाई 2022 की है। कांग्रेस सांसद फूलो देवी नेताम ने संसद परिसर में सिलेंडर उठा लिया था। महंगाई के खिलाफ विपक्ष के प्रदर्शन की ये सबसे चर्चित तस्वीरों में से एक है।

3. रोजगार और एजुकेशन लोन: बेरोजगारी पर कुछ बड़ा कहा जा सकता है। छोटे और मझोले उद्योगों के लिए ऐलान किए जा सकते हैं। मनरेगा को मिलने वाला पैसा भी इस साल बढ़ाए जाने की उम्मीद है। इन्फ्रास्ट्रक्चर का बजट बढ़ाने से भी रोजगार पैदा होंगे।
आत्म निर्भर भारत योजना के तहत 50.85 लाख नौकरियां पिछले साल दी जानी थी। सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक, टारगेट से 28त्न ज्यादा यानी 70 लाख नौकरियां दी गईं। इस पर फोकस बढ़ा तो इस साल नतीजे बेहतर हो सकते हैं। एजुकेशन लोन के सस्ते होने की फिलहाल कोई उम्मीद नहीं है।
4. स्मार्ट फोन: मोबाइल फोन बनाने में इस्तेमाल किए जाने वाले आइटम्स पर इम्पोर्ट और एक्सपोर्ट ड्यूटी घटी तो अप्रैल के बाद मोबाइल खरीदना सस्ता हो सकता है। मार्केट की भी यही डिमांड है।
मार्केट तो यह भी मांग कर रहा है कि मोबाइल पर त्रस्ञ्ज 18त्न से घटाकर 12त्न कर दी जाए, क्योंकि जब इसे 18त्न किया गया था तो 10 हजार वाले मोबाइल की कीमत 11 हजार 800 तक पहुंच गई थी। सरकार भी डिमांड मान सकती है।
पिछले साल ईयरफोन जैसे इलेक्ट्रॉनिक आइटम पर कस्टम ड्यूटी बढ़ी तो ये प्रोडक्ट्स महंगे हो गए। इस पर रियायत के आसार कम हैं, क्योंकि सरकार चाहती है कि ऐसे प्रोजेक्ट की घरेलू मैन्युफैक्चरिंग मजबूत हो।
5. हेल्थ सेक्टर: एक्सपर्ट का कहना है कि कोविड के बाद बीमा, वैक्सीन, टेक्नोलॉजी और रिसर्च एंड डेवलपमेंट को ज्यादा मजबूत करना ही होगा। ऐसे में सरकार हेल्थ बजट में 20-30त्न की बढ़ोतरी कर सकती है। पिछले साल स्वास्थ्य मंत्रालय को 86 हजार 200 करोड़ दिए गए थे।