


जयपुर। इन दिनों विधानसभा में बजट सत्र चल रहा है, लेकिन गहलोत के धुर विरोधी माने जाने वाले प्रदेश के दो दिग्गज नेता सदन के भीतर पूरी तरह से खामोश हैं। जबकि सदन के बाहर वे सीएम गहलोत पर हमला करने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं। यह दोनों दिग्गज नेता हैं पूर्व सीएम वसुंधरा राजे और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट।
विधानसभा में लगे सवालों और कार्यवाही के दौरान बहस में हिस्सा लेने वाले विधायकों पर भास्कर ने पड़ताल की। सामने आया कि दोनों ही नेताओं ने पिछले सवा चार साल में सदन के भीतर गहलोत के किसी काम पर अंगुली उठाना तो दूर एक सवाल पूछने तक की जरूरत नहीं समझी है।
आम जनता के लिए सबसे जरूरी है जब विधानसभा चल रही हो तो वहां बिल, विधेयक या मुद्दों पर विधायक चर्चा करें। नियमों के मुताबिक स्पीकर को छोडक़र सभी 199 विधायक बहस में हिस्सा ले सकते हैं। सरकार से सवाल-जवाब कर सकते हैं। लेकिन इसके बावजूद सदन के बाहर सरकार के कामकाज पर सवाल उठाना और सदन में खामोश रहना दिग्गज नेताओं का चौंकाने वाला व्यवहार है।
इस स्पेशल रिपोर्ट में पढि़ए सदन में कौन चुप रहता है और बाहर बयान देता है। कब-कब पायलट वर्सेज गहलोत, गहलोत वर्सेज वसुंधरा राजे हुआ लेकिन विधानसभा के भीतर किन मुद्दों पर ये नेता खामोश रहे….
सदन में लंबी चुप्पी साधे हुए हैं राजे
वसुंधरा राजे पांचवी बार विधायक हैं। वे तीन बार विपक्ष में बतौर विधायक रही हैं। वे हर बार जनहित के मुद्दों पर सरकार को घेरती रही हैं। वे सवाल भी लगाती रही हैं और बहुत से मुद्दों पर बोलती भी रही हैं। वर्ष 2011-2013 के बीच तो वे नेता प्रतिपक्ष थीं। तब सीएम अशोक गहलोत को कड़ी टक्कर देती थीं। इस बार दिसंबर-2018 से अब तक करीब सवा चार साल में राजे ने गहलोत सरकार से एक भी सवाल नहीं पूछा है। ना ही वे किसी मुद्दे पर मुखर हुईं।
