


बीकानेर। पुलिस की खाकी वर्दी का रौब ही अलग है। इसे पहनने के लिए हजारों युवा लालायित रहते हैं। अफसोस जिन्हें यह वर्दी पहनने का मौका मिला है, वे वर्दी को सलीके से पहनने से गुरेज करते हैं। खाकी पैंट-शर्ट व टोपी वाली वर्दी पहनने वाले को कानून का रखवाला मानते हैं, लेकिन महकमे के कुछ एक पुलिस अफसर-कर्मचारी एवं खासकर महिला पुलिस कर्मचारी पूरी वर्दी नहीं पहनतीं और न ही वर्दी के पूरे ड्रेसकोड का पालन करती हैं। पुलिस मुख्यालय ने पुलिस वर्दी के ड्रेस कोड का पालन नहीं करने को गंभीरता से लिया है। मुख्यालय बार-बार पूरी वर्दी सलीके से पहनने के आदेश जारी कर चुका है। हाल ही फिर स्मरण-पत्र जारी कर पुलिस अधीक्षकों को अधीनस्थ कर्मियों को पूरी वर्दी पहनने एवं महिला कर्मचारियों को निर्धारित पैटर्न में यूनिफॉर्म पहनने के लिए पाबंद करने की हिदायत दी है। पुलिस मुख्यालय ने सीधे-तौर पर संदेश दिया है कि पुलिस की नौकरी करनी है, तो फैशन से दूरी बनानी ही होगी।
यह यह आदेश जारीमहानिरीक्षक ( कानून-व्यवस्था ), जयपुर भरतलाल मीणा ने प्रदेश के सभी रेंज पुलिस महानिरीक्षकों, पुलिस अधीक्षकों एवं पुलिस ट्रेनिंग सेंटरों आदि को पत्र भेजा है। पत्र में निर्देशित किया गया है कि पुलिस मुख्यालय पर पांच दिसंबर, 22 को समन्वय बैठक हुई, जिसमें पुलिस महानिदेशक को बताया गया कि महकमे में महिला पुलिस कर्मचारी निर्धारित पैटर्न के प्रत्येक यूनिफार्म आइटम का उपयोग नहीं कर रही है। रंग-बिरंगे जूते पहनना, टोपी नहीं पहनना, केश सज्जा में काम आने वाले आइटम आदि का उपयोग कर रही हैं।
यह हैं नियमनियम के मुताबिक पुलिसकर्मियों के लिए ड्रेसकोड निर्धारित है। पैंट-शर्ट, नेम प्लेट, बैज, बेल्ट और जूते-मोजे एवं टोपी पहनना होता है। इनमें से एक चीज मौजूद न हो, तो वर्दी पूरी नहीं मानी जाती। ट्रेनिंग में भी पुलिस वालों को पूरी वर्दी का महत्व बताया जाता है। महिलाओं और पुरुष पुलिस कर्मचारियों के लिए एक-जैसा ड्रेस कोड है। केवल महिलाओं को बालों में लगाने के लिए काले रंग का रिबन या जूड़ा लगाने की अनुमति है, लेकिन अधिकतर महिला पुलिसकर्मी टोपी पहनती ही नहीं हैं। बालों में अलग-अलग कलर के रिबन व कलरफुल जूते उपयोग करती हैं। मुंह पर स्कार्फ बांधकर रखती हैं। यह अनुशासनहीनता के साथ-साथ वर्दी का भी अपमान है।
