


बीकानेर।कच्चा तेल समेत कई जरूरी कमोडिटी के दाम घटने से जो राहत मिलती नजर आ रही है, वह गायब हो सकती है। आम जीवन और पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था के लिए सबसे महत्वपूर्ण ईंधन डीजल की किल्लत बढऩे वाली है। अगले कुछ महीनों में दुनिया का हर हिस्सा इससे प्रभावित होगा।
अमेरिका में डीजल का स्टॉक करीब 40 साल के निचले स्तर पर
डीजल की किल्लत के संकेत अभी से मिलने लगे हैं। अमेरिका में डीजल का स्टॉक करीब 40 साल के निचले स्तर पर आ गया है। यूरोप में भी करीब-करीब यही हाल है। मार्च तक हालात और खराब होंगे, जब समुद्र के रास्ते रूस से डीजल आयात पर प्रतिबंध लागू होंगे। स्थिति अभी से खराब होने लगी है।
डीजल का वैश्विक एक्सपोर्ट निर्यात घटने लगा है, जिसका सबसे ज्यादा असर पाकिस्तान जैसे गरीब देशों पर होगा। दरअसल डीजल से न सिर्फ बसें, ट्रक, जहाज और ट्रेनें चलती हैं, बल्कि कंस्ट्रक्शन व खेती-बाड़ी में काम आने वाली मशीनें और फैक्टरियां भी चलती हैं। यही वजह है कि डीजल की किल्लत से इसकी कीमतों में बढ़ोतरी गहरा असर दिखाएगी।

अमेरिका को 8.17 लाख करोड़ का झटका
राइस यूनिवर्सिटी के बेकर इंस्टिट्यूट ऑफ पब्लिक पॉलिसी के एनर्जी फेलो मार्क फिनली के मुताबिक, डीजल के दाम बढऩे से अकेले अमेरिका को करीब 100 अरब डॉलर (8.17 लाख करोड़ रुपए) का झटका लगेगा। फिनली ने कहा, च्हमारे देश में हर चीज एक जगह से दूसरी जगह डीजल के दम पर पहुंचती है। पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम भी एक हद तक डीजल पर निर्भर है। ऐसे में इसकी किल्लत गंभीर असर दिखाएगी