


बीकानेर ।स्कूल एजुकेशन वेलफेयर एसोसिएशन सेवा राजस्थान के प्रतिनिधि मंडल ने प्रदेश अध्यक्ष कोडाराम भादू के नेतृत्व में शिक्षा उपनिदेशक आरटीई प्रभारी चंद्रकिरण से मिलकर उनको ज्ञापन सौंपकर कक्षा 1 से 8 तक आरटीई के तहत निशुल्क अध्ययन करने वाली छात्राओं के कक्षा 9 में प्रवेश लेकर कक्षा 12 तक की पढ़ाई करने के लिए सरकार द्वारा इंदिरा शक्ति योजना के तहत दी जाने वाली फीस पुनर्भरण राशि सीधे स्कूल के खाते में जमा करने की मांग की है।
संगठन के मीडिया प्रभारी शैलेश भदानी ने बताया कि यह राशि अनुदान या छात्रवृत्ति नहीं है, बल्कि स्कूल की फीस है।जो अब तक अभिभावक सीधा स्कूलों को भूगतान करता
आया है।
फीस लेने अधिकार केवल स्कूल को ही है। अब एक आदेश के अनुसार सरकार ने जिला शिक्षा अधिकारियों के माध्यम से बालिकाओं की फीस के पुनर्भरण राशि बालिकाओं के खाते में जमा करवाने की व्यवस्था की है। सरकार को चाहिए कि जिस तरह से कक्षा 1 से 8 तक शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के तहत निशुल्क अध्ययन करने वाले विद्यार्थियों की फीस इसका पुनर्भरण सीधा स्कूल के खाते में जमा किया जा रहा है। ठीक उसी तरह से कक्षा 9 से 12 तक की बालिकाओं के फीस का भी पुनर्भरण स्कूलों के खाते में जमा किया जाए। प्रतिनिधिमंडल का कहना है कि यदि बालिका के खाते में पैसा ट्रांसफर किया जाएग तो अभिभावक स्कूल में फीस जमा कराने में ढीलाई करेगा। तथा कई अभिभावक ऐसे भी है। जो शिक्षा को प्राथमिकता में नहीं लेते है। वे अभिभावक स्कूल की फीस जमा कराने के बजाय इस पैसे का उपयोग अन्य कार्यों में करेगा। जिससे स्कूल को फीस नहीं मिलेगी। फीस नहीं मिलने के कारण बालिका को स्कूल से बाहर करना पड़ेगा। जिससे छात्रा का अहित होगा। तथा पढ़ाई बीच में छूट जाएगी। इसलिए छात्रा के हित को ध्यान में रखते हुए तथा स्कूल की आर्थिक व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए पुनर्भरण राशि स्कूल के खाते में जमा करवाई जाए। क्योंकि स्कूल के पास समय पर फीस नहीं आएगी तो स्कूल छात्राओं को मूलभूत आवश्यक सुविधाएं, संसाधन एवं वातावरण उपलब्ध नहीं करवा पाएगा। तथा कर्मचारियों का भुगतान समय पर नहीं कर पाएगा जिससे शिक्षण व्यवस्था पर विपरित असर पड़ेगा।
सरकार और विभाग की मनसा बालिका की फीस का भुगतान करना है। तो फिर बीच में इस तरह की जटिल क्रिया अपनाकर बालिकाओं विभाग के अधिकारियों कर्मचारियों एवं बैंकों का समय बर्बाद करने में कोई फायदा नहीं है। इसलिए सरकार इसमें पुनर्विचार करें। तथा यह पैसा स्कूलों के खाते में सीधा जमा करवाएं अन्यथा स्कूलों के हितों को ध्यान में रखते हुए इस मुद्दे पर सरकार एवं विभाग का ध्यान आकर्षित करने के लिए आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ेगा।
प्रतिनिधिमंडल में धर्मेंद्र सिंह, हंसराज धौलपुरिया, मनीष शर्मा, प्रकाश पुरोहित, शैलेश भदानी आदि शामिल रहे।
