अजमेर स्थित महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय (एमडीएस) में दबाव की राजनीति का एक गंभीर मामला सामने आया है। विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रोफेसर सुरेश कुमार अग्रवाल को नियमों के विपरीत प्रवेश दिलाने के लिए फोन कॉल और मैसेज के जरिए धमकाने का आरोप लगा है। इस संबंध में विश्वविद्यालय प्रशासन की शिकायत पर सिविल लाइन थाना पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
निजी कॉलेज के इशारे पर बनाया गया दबाव
पुलिस के अनुसार, यह शिकायत विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार कैलाशचंद्र शर्मा की ओर से कुलगुरु के निजी सहायक स्वतंत्र कुमार शर्मा ने दर्ज कराई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि टोंक जिले के निवाई क्षेत्र स्थित दतवास गांव के अभिषेक महाविद्यालय के निदेशक राजेश गुर्जर के कहने पर जयपुर के सांगानेर इलाके में रहने वाले दातारसिंह ने कुलगुरु को फोन किया।
प्रवेश नहीं मिलने से भड़का आरोपी
आरोप है कि कॉलेज के कुछ विद्यार्थियों का प्रवेश विश्वविद्यालय द्वारा स्वीकृत नहीं किए जाने से दातारसिंह नाराज हो गया। उसने फोन पर कुलगुरु से अभद्र और अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया। कुलगुरु प्रोफेसर अग्रवाल ने स्पष्ट रूप से कहा कि विश्वविद्यालय में सभी प्रवेश निर्धारित नियमों और प्रक्रियाओं के तहत ही होते हैं और किसी भी तरह का गैरकानूनी प्रवेश संभव नहीं है।
फोन के बाद मैसेज से भी धमकी
बताया गया कि नियमों की बात सुनते ही आरोपी और अधिक उग्र हो गया। उसने धमकी भरे शब्दों का इस्तेमाल किया और फोन काटने के बाद मैसेज के जरिए भी गाली-गलौच और डराने की कोशिश की। आरोपी ने “ऊपर तक पहचान” होने का हवाला देकर दबाव बनाने और राजकीय कार्य में बाधा डालने का प्रयास किया।
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पुलिस ने दर्ज किया मामला
मामले की गंभीरता को देखते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन ने तुरंत पुलिस को सूचना दी। सिविल लाइन थाना पुलिस ने जयपुर निवासी आरोपी के खिलाफ धमकी देने, अभद्र भाषा के प्रयोग और राजकार्य में बाधा डालने से जुड़ी धाराओं में केस दर्ज किया है। जांच की जिम्मेदारी एसआई भीम सिंह को सौंपी गई है, जो कॉल रिकॉर्ड, मैसेज और अन्य साक्ष्यों के आधार पर जांच कर रहे हैं।
विश्वविद्यालय प्रशासन का सख्त रुख
एमडीएस विश्वविद्यालय के अंतर्गत अजमेर, भीलवाड़ा, टोंक, नागौर, ब्यावर, कुचामन और डीडवाना क्षेत्रों के सरकारी और निजी कॉलेज आते हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन ने साफ किया है कि सभी पाठ्यक्रमों में प्रवेश केवल निर्धारित नियमों के अनुसार ही होंगे। किसी भी प्रकार के दबाव, सिफारिश या धमकी के आगे झुकने का सवाल ही नहीं है।

