कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह द्वारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की संगठनात्मक क्षमता की सराहना किए जाने के बाद सियासी हलकों में बहस तेज हो गई है। इस मुद्दे पर अब कांग्रेस सांसद शशि थरूर की प्रतिक्रिया सामने आई है, जिसमें उन्होंने बेहद संतुलित और सोच-समझकर बात रखी है।
संगठन और अनुशासन पर थरूर का फोकस
शशि थरूर ने कहा कि किसी भी राजनीतिक दल या संगठन के लिए अनुशासन बेहद अहम होता है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि कांग्रेस का 140 साल पुराना इतिहास रहा है और पार्टी को अपने अनुभवों के साथ-साथ अपनी गलतियों से भी सीख लेनी चाहिए। थरूर के मुताबिक, संगठन को मजबूत करना इस समय सबसे बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिए।
दिग्विजय की राय उनकी अपनी
दिग्विजय सिंह के बयान को लेकर उठे सवालों पर थरूर ने साफ कहा कि यह उनकी व्यक्तिगत राय है और उसी संदर्भ में जवाब भी वही दे सकते हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि दिग्विजय सिंह से उनके व्यक्तिगत संबंध अच्छे हैं और आपसी बातचीत होना स्वाभाविक है, लेकिन हर बयान को आंतरिक विवाद के तौर पर देखना जरूरी नहीं।
कांग्रेस में बयान को लेकर मचा घमासान
दिग्विजय सिंह के बयान के बाद कांग्रेस के भीतर भी मतभेद देखने को मिले हैं, वहीं बीजेपी ने इसे लेकर कांग्रेस और राहुल गांधी पर हमला तेज कर दिया है। पार्टी के कुछ नेताओं का मानना है कि इस तरह के बयान राजनीतिक तौर पर विपक्ष को फायदा पहुंचा सकते हैं।
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विवाद की शुरुआत कैसे हुई
दरअसल, शनिवार को दिग्विजय सिंह ने सोशल मीडिया पर 1990 के दशक की एक पुरानी तस्वीर साझा की थी। तस्वीर में युवा नरेंद्र मोदी फर्श पर बैठे नजर आ रहे थे, जबकि उनके पीछे एलके आडवाणी समेत बीजेपी के वरिष्ठ नेता कुर्सियों पर बैठे थे। दिग्विजय ने इस तस्वीर को साझा करते हुए लिखा था कि एक जमीनी कार्यकर्ता का मुख्यमंत्री और फिर प्रधानमंत्री बनना संगठन की ताकत को दर्शाता है।
बाद में दी सफाई
बयान पर विवाद बढ़ने के बाद दिग्विजय सिंह ने सफाई देते हुए कहा कि वह RSS की विचारधारा के आलोचक रहे हैं और प्रधानमंत्री मोदी के भी आलोचक हैं। हालांकि, उन्होंने यह भी दोहराया कि किसी संगठन की कार्यशैली और अनुशासन की प्रशंसा करना अलग बात है।
स्थापना दिवस पर आया थरूर का बयान
शशि थरूर का यह बयान कांग्रेस के 140वें स्थापना दिवस के मौके पर आया है। उन्होंने कहा कि यह अवसर पार्टी के गौरवशाली इतिहास और देश के लिए उसके योगदान को याद करने का है। उनके अनुसार, इस समय बयानबाजी से ज्यादा जरूरी संगठन को मजबूत करना और आगे की रणनीति पर ध्यान देना है।

