कमीशन विवाद पर बोले केंद्रीय मंत्री, पार्टी छवि को नुकसान की बात स्वीकारी
बीकानेर में मीडिया से बातचीत के दौरान केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने खींवसर विधायक से जुड़े कथित कमीशन वीडियो मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि विधायक के आचरण और व्यवहार से पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचा है और इस बात को उन्होंने संबंधित विधायक को सख्ती के साथ समझाया है।
शेखावत ने बताया कि बातचीत के दौरान विधायक ने भी यह स्वीकार किया कि इस पूरे प्रकरण से पार्टी को राजनीतिक रूप से क्षति पहुंची है। चाहे यह घटना अनजाने में हुई हो या किसी गलतफहमी के कारण, लेकिन इसका असर सीधे तौर पर संगठन की साख पर पड़ा है।
बातचीत के दौरान भावुक हुए विधायक
केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि जब विधायक को अपने व्यवहार के परिणामों का अहसास हुआ, तो वे मानसिक रूप से काफी व्यथित नजर आए। बातचीत के दौरान उनकी आंखों में आंसू आ जाना यह दर्शाता है कि उन्हें अपनी गलती और उससे उत्पन्न परिस्थितियों का गहरा बोध हुआ है।
शेखावत के अनुसार, यह केवल व्यक्तिगत मामला नहीं था, बल्कि ऐसा मुद्दा था, जिसने पार्टी को असहज स्थिति में ला खड़ा किया। इसी वजह से उन्हें स्पष्ट और कठोर शब्दों में अपनी बात रखनी पड़ी।
- Advertisement -
क्या है पूरा कमीशन वीडियो मामला
गौरतलब है कि हाल ही में एक मीडिया समूह द्वारा कुछ वीडियो सार्वजनिक किए गए थे, जिनमें विधायकों के विकास कार्यों के लिए आवंटित फंड के बदले कथित तौर पर कमीशन मांगे जाने की बातें सामने आई थीं। इन्हीं वीडियो में खींवसर विधायक का नाम भी चर्चा में आया था, जिसके बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई।
जोधपुर में हुई थी मुलाकात
इस विवाद के बाद 21 दिसंबर को खींवसर विधायक जोधपुर में केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत से मिलने पहुंचे थे। उस दौरान विधायक ने पूरे मामले पर अपनी सफाई पेश की थी। बताया जाता है कि बैठक के बाद जब वे शेखावत के आवास से बाहर निकले, तो वे काफी भावुक नजर आए।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, विधायक की आंखों में आंसू थे और वे बार-बार आंखें पोंछते दिखे। इस दृश्य को लेकर सियासी हलकों में कई तरह की चर्चाएं शुरू हो गई थीं और उस दिन के वीडियो भी सामने आए थे।
राजनीतिक हलकों में जारी है चर्चा
कमीशन वीडियो विवाद और उसके बाद हुई यह मुलाकात अब भी राजनीतिक चर्चाओं का विषय बनी हुई है। पार्टी स्तर पर इसे छवि से जुड़ा गंभीर मामला माना जा रहा है, वहीं केंद्रीय नेतृत्व की सख्ती को संगठनात्मक अनुशासन के संकेत के तौर पर देखा जा रहा है।

