नई दिल्ली से अटल जी का गहरा रिश्ता
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का दिल्ली से रिश्ता केवल सत्ता तक सीमित नहीं था। यह रिश्ता विचार, संस्कृति, संघर्ष और संवेदनशीलता से बना था। 1957 में बलरामपुर से पहली बार लोकसभा जीतने के बाद जब वे दिल्ली आए, तब से लेकर 2018 में अंतिम सांस तक उन्होंने लुटियंस दिल्ली के अलग-अलग पतों पर लगभग छह दशक बिताए। हर पता उनके राजनीतिक जीवन के किसी न किसी दौर का गवाह रहा।
111 साउथ एवेन्यू: संघर्ष के दिनों का ठिकाना
अटल जी का दिल्ली में पहला सरकारी आवास 111, साउथ एवेन्यू माना जाता है। राष्ट्रपति भवन के पास स्थित यह फ्लैट उन्हें 1957 में सांसद बनने के बाद मिला। खास बात यह थी कि तब उनके पास निजी वाहन नहीं था। वे अक्सर डीटीसी बस से सफर करते और दिल्ली विश्वविद्यालय तक पहुंचते थे। यह दौर उनके सादगीपूर्ण जीवन और जमीन से जुड़े स्वभाव को दर्शाता है।
6 रायसीना रोड: राजनीति और साहित्य का संगम
बाद में अटल जी 6, रायसीना रोड में रहने लगे। यही वह घर था जहां राजनीति के साथ-साथ साहित्य और संस्कृति भी सांस लेती थी। कवि सम्मेलन, पुस्तक विमोचन और होली मिलन जैसे आयोजन यहां नियमित होते थे। 1977 और 1980 में नई दिल्ली लोकसभा सीट से जीतकर संसद पहुंचने के बाद यह आवास उनकी राजनीतिक सक्रियता का केंद्र बन गया।
1984 के दंगे और मानवीय साहस
6 रायसीना रोड का बंगला 1984 के सिख विरोधी दंगों का भी मूक साक्षी रहा। हिंसा के माहौल में अटल जी का अकेले बाहर निकलकर भीड़ का सामना करना उनके नैतिक साहस को दिखाता है। उन्होंने न केवल पीड़ितों की रक्षा की, बल्कि उसी दिन हालात सुधारने के लिए प्रशासन और संगठन स्तर पर सक्रिय पहल की।
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प्रधानमंत्री आवास और जिम्मेदारी का दौर
प्रधानमंत्री बनने के बाद अटल जी लोक कल्याण मार्ग स्थित आवास में रहे। यह समय देश की विदेश नीति, परमाणु परीक्षण और शांति प्रयासों का रहा। सत्ता के शिखर पर रहते हुए भी उनकी दिनचर्या में सरलता और संवाद की परंपरा बनी रही।
6-ए कृष्ण मेनन मार्ग: अंतिम पड़ाव
2004 में प्रधानमंत्री पद छोड़ने के बाद अटल जी को कृष्ण मेनन मार्ग का बंगला मिला। पहले इसका नंबर 8 था, जिसे उनके आग्रह पर 6-ए किया गया। आधिकारिक तौर पर इसके पीछे कोई स्पष्ट कारण सामने नहीं आया, लेकिन उनके करीबी मानते हैं कि जीवन के अंतिम वर्षों में उन्हें अंक ज्योतिष में रुचि हो गई थी। यही बंगला उनके जीवन का अंतिम पता बना।
बदलते पते, एक ही व्यक्तित्व
अटल बिहारी वाजपेयी के दिल्ली के पते बदलते रहे, लेकिन उनका व्यक्तित्व, मूल्य और जनसरोकार नहीं बदले। साउथ एवेन्यू की सादगी, रायसीना रोड की सांस्कृतिक जीवंतता, प्रधानमंत्री आवास की जिम्मेदारी और कृष्ण मेनन मार्ग की शांति—हर पता उनके जीवन के अलग अध्याय को दर्शाता है।
क्यों खास है यह कहानी
अटल जी के आवास केवल ईंट-पत्थर की इमारतें नहीं थे, बल्कि भारतीय राजनीति के कई निर्णायक क्षणों के साक्षी रहे। शायद यही वजह है कि उनके बदलते दिल्ली पते आज भी इतिहास, राजनीति और पत्रकारिता में रुचि रखने वालों के लिए जिज्ञासा का विषय बने हुए हैं।

