गृह मंत्रालय के नोटिस पर X का इनकार, आईटी कानून की व्याख्या बनी विवाद की वजह
नई दिल्ली। भारत सरकार के गृह मंत्रालय और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) के बीच कंटेंट हटाने को लेकर टकराव गहराता जा रहा है। मंत्रालय ने मार्च 2024 से अब तक X कॉर्प को कुल 91 नोटिस भेजे हैं, जिनमें 1,100 से अधिक लिंक और पोस्ट हटाने की मांग की गई है। ये नोटिस सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 79(3)(b) के तहत जारी किए गए हैं।
सरकार का कहना है कि ये पोस्ट कानून-व्यवस्था, सार्वजनिक शांति और राष्ट्रीय हितों को प्रभावित कर सकती हैं। वहीं, X कॉर्प ने इन नोटिसों पर आपत्ति जताते हुए कंटेंट हटाने से इनकार कर दिया है।
सार्वजनिक व्यवस्था से जुड़े सबसे ज्यादा मामले
- Advertisement -
गृह मंत्रालय के अनुसार, जिन यूआरएल को हटाने के लिए कहा गया है, उनमें से 566 लिंक ऐसे हैं जो सार्वजनिक व्यवस्था बिगाड़ने से जुड़े बताए गए हैं। इसके अलावा 124 पोस्ट राजनीतिक और सार्वजनिक हस्तियों को निशाना बनाने वाली श्रेणी में रखी गई हैं।
रिकॉर्ड के मुताबिक, मार्च 2024 से नवंबर 2025 के बीच भेजे गए 58 नोटिसों में 24 मामलों को सार्वजनिक शांति भंग करने और सामाजिक वैमनस्य फैलाने से संबंधित माना गया, जबकि तीन नोटिस राष्ट्रीय संप्रभुता और अखंडता के लिए खतरे की आशंका के आधार पर जारी किए गए।
अपराध, चुनाव और अवैध गतिविधियों से जुड़ा कंटेंट
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 20 महीनों में जारी नोटिसों में 14 नोटिस ऐसे थे, जिनमें आपराधिक गतिविधियों से संबंधित कंटेंट शामिल था। इनमें ऑनलाइन सट्टेबाजी ऐप्स, वित्तीय धोखाधड़ी और बाल शोषण से जुड़े मामले बताए गए हैं।
एक ही नोटिस में सबसे अधिक 115 पोस्ट हटाने की मांग 13 मई को की गई थी, जो चुनावी माहौल को प्रभावित करने वाले वीडियो से जुड़ी थीं। लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान कुल 761 पोस्ट को चिन्हित किया गया, जिनमें से 198 को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम का उल्लंघन करने वाला माना गया।
दिल्ली हाई कोर्ट में पहुंचा मामला
गृह मंत्रालय ने दिल्ली हाई कोर्ट में दाखिल हलफनामे में बताया है कि X कॉर्प न केवल चिन्हित कंटेंट की वैधता पर सवाल उठा रहा है, बल्कि धारा 79(3)(b) के तहत नोटिस जारी करने के अधिकार को भी चुनौती दे रहा है।
X कॉर्प का तर्क है कि कंटेंट हटाने या ब्लॉक करने का आदेश आईटी एक्ट की धारा 69A के तहत ही दिया जाना चाहिए। कंपनी का कहना है कि धारा 69A का इस्तेमाल विशेष परिस्थितियों, जैसे राष्ट्रीय सुरक्षा और गंभीर सार्वजनिक व्यवस्था से जुड़े मामलों में होता है और वही कानूनी रूप से उचित प्रक्रिया है।
सेफ हार्बर को लेकर चिंता
X का यह भी कहना है कि धारा 79(3)(b) के तहत बिना न्यायिक प्रक्रिया के कंटेंट हटाने की मांग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को मिलने वाले ‘सेफ हार्बर’ संरक्षण को कमजोर करती है। कंपनी के अनुसार, इससे डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की स्वतंत्रता और निष्पक्षता पर असर पड़ सकता है।
फिलहाल यह मामला कानूनी और नीतिगत बहस का रूप ले चुका है। आने वाले समय में अदालत का रुख यह तय करेगा कि सरकार और सोशल मीडिया कंपनियों के बीच कंटेंट नियंत्रण की सीमा कहां तक होनी चाहिए।

