दीपू चंद्र दास हत्या के विरोध ने बढ़ाया तनाव, प्रदर्शन से कूटनीतिक हलचल
नई दिल्ली। बांग्लादेश में हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की हत्या के विरोध में मंगलवार को दिल्ली स्थित बांग्लादेश उच्चायोग के बाहर जोरदार प्रदर्शन देखने को मिला। इस दौरान विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल और सर्वभारतीय हिंदू बंगाली संगठन से जुड़े कार्यकर्ता बड़ी संख्या में सड़कों पर उतरे। प्रदर्शन के दौरान हालात उस वक्त तनावपूर्ण हो गए, जब प्रदर्शनकारियों और तैनात पुलिस बल के बीच धक्का-मुक्की और झड़प हो गई।
प्रदर्शनकारी बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर चिंता जताते हुए न्याय की मांग कर रहे थे। नारेबाजी के बीच कुछ प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षा बैरिकेड्स पार करने की कोशिश की, जिसके बाद पुलिस और अर्धसैनिक बलों को स्थिति संभालनी पड़ी।
दुर्गाबाई देशमुख मेट्रो स्टेशन से शुरू हुआ मार्च
- Advertisement -
जानकारी के अनुसार, प्रदर्शन की शुरुआत दुर्गाबाई देशमुख साउथ कैंपस मेट्रो स्टेशन के पास से हुई थी। यहां पहले से ही बहुस्तरीय सुरक्षा व्यवस्था तैनात थी। जैसे-जैसे भीड़ आगे बढ़ी, प्रदर्शनकारियों ने उच्चायोग की ओर मार्च करने का प्रयास किया। इसी दौरान पुलिस के साथ उनकी तीखी नोकझोंक हुई।
प्रदर्शनकारियों का कहना था कि 18 दिसंबर को बांग्लादेश के मयमनसिंह क्षेत्र में दीपू चंद्र दास की कथित तौर पर भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी। इस घटना ने भारत में भी आक्रोश पैदा कर दिया है।
वीजा सेवाओं पर पड़ा असर
दिल्ली में हुए इस प्रदर्शन के बाद भारत-बांग्लादेश के बीच कूटनीतिक हलचल भी तेज हो गई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बांग्लादेश ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए नई दिल्ली और अगरतला स्थित अपने वीजा एवं कांसुलर केंद्रों की सेवाएं अनिश्चितकाल के लिए निलंबित कर दी हैं।
बताया जा रहा है कि बांग्लादेशी विदेश मंत्रालय ने भारतीय उच्चायुक्त को तलब कर प्रदर्शन को लेकर चिंता जताई है और अपने कूटनीतिक मिशनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की है। वहीं भारत की ओर से कहा गया है कि प्रदर्शन सीमित दायरे में थे और किसी प्रकार का गंभीर सुरक्षा खतरा उत्पन्न नहीं हुआ।
मामले में गिरफ्तारी, फिर भी सवाल बरकरार
दीपू चंद्र दास की हत्या के मामले में बांग्लादेश की रैपिड एक्शन बटालियन द्वारा सात लोगों की गिरफ्तारी की पुष्टि की गई है। हालांकि मृतक के परिजनों का कहना है कि उन्हें अभी तक ठोस सरकारी आश्वासन नहीं मिला है। इस घटना पर भारत में कई सामाजिक और राजनीतिक संगठनों ने चिंता जताई है और विदेश मंत्रालय से हस्तक्षेप की मांग की है।
द्विपक्षीय संबंधों पर असर की आशंका
दिल्ली में हुआ यह विरोध प्रदर्शन अब केवल एक कानून-व्यवस्था का मुद्दा नहीं रह गया है, बल्कि इसका असर भारत-बांग्लादेश संबंधों पर भी दिखने लगा है। अल्पसंख्यकों की सुरक्षा, कूटनीतिक मिशनों की सुरक्षा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जैसे मुद्दों को लेकर दोनों देशों के बीच संतुलन बनाना आने वाले दिनों में बड़ी चुनौती साबित हो सकता है।

