दिल्ली-एनसीआर से जुड़ी अरावली पहाड़ियों को लेकर एक बार फिर राजनीतिक तापमान बढ़ गया है। केंद्र सरकार और कांग्रेस आमने-सामने हैं। जहां केंद्र सरकार अरावली क्षेत्र में पर्यावरण संरक्षण के दावों को आगे रख रही है, वहीं कांग्रेस का कहना है कि हालिया फैसलों से पूरे इलाके का पारिस्थितिक संतुलन बिगड़ने का खतरा है।
केंद्र सरकार का पक्ष: ग्रीन अरावली को मिली रफ्तार
केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में ‘ग्रीन अरावली मूवमेंट’ को नई मजबूती मिली है। उन्होंने दावा किया कि बीते वर्षों में अरावली क्षेत्र में संरक्षण से जुड़े काम तेजी से आगे बढ़े हैं।
भूपेंद्र यादव के अनुसार, वर्ष 2014 में देश में केवल 24 रामसर साइट थीं, जो अब बढ़कर 96 हो चुकी हैं। अरावली क्षेत्र से जुड़े सुल्तानपुर, भिंडावास, असोला, सिलिसेढ़ और सांभर जैसे अहम जल एवं वन क्षेत्रों को रामसर सूची में शामिल किया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि न्यायालयों ने अपने फैसलों में अरावली पर्वत श्रृंखला के संरक्षण पर विशेष जोर दिया है, खासकर दिल्ली, हरियाणा, गुजरात और राजस्थान में।
सरकारी पहलें: वृक्षारोपण और वनीकरण पर फोकस
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि अरावली को हरित क्षेत्र के रूप में विकसित करने के लिए ‘ग्रीन इंडिया मिशन’ के तहत कई योजनाएं लागू की गई हैं। पिछले दो वर्षों में दिल्ली में बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण अभियान चलाए गए।
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इसके अलावा गुरुग्राम में करीब 10 हजार एकड़ भूमि को क्षतिपूरक वनीकरण के लिए चिन्हित किया गया है। वहीं, 750 एकड़ से अधिक खराब हो चुके वन क्षेत्र को ग्रीन क्रेडिट प्रणाली के जरिए दोबारा विकसित किया गया है।
खनन को लेकर स्पष्ट रुख
खनन के आरोपों पर सफाई देते हुए भूपेंद्र यादव ने कहा कि एनसीआर क्षेत्र में किसी भी तरह का खनन पूरी तरह प्रतिबंधित है। उन्होंने कुछ वरिष्ठ नेताओं के सोशल मीडिया बयानों को भ्रामक बताते हुए कहा कि नए खनन की कोई अनुमति नहीं दी जा रही है। सरकार की प्राथमिकता केवल अरावली का संरक्षण और पर्यावरण संतुलन बनाए रखना है।
कांग्रेस का हमला: पर्यावरण पर खतरे की चेतावनी
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने सरकार के दावों पर कड़ा सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि यदि अरावली से जुड़ा नया आदेश लागू हुआ तो इसका असर पूरे पारिस्थितिक तंत्र पर पड़ेगा। उनके मुताबिक, अरावली पर्वत श्रृंखला थार मरुस्थल से आने वाली रेत को रोकती है और दिल्ली, हरियाणा सहित बड़े हिस्से की खेती, जल स्रोतों और जीवन को सुरक्षा देती है।
पवन खेड़ा ने चेतावनी दी कि अरावली को नुकसान पहुंचाने वाला कोई भी कदम देश और क्षेत्र के हितों के खिलाफ होगा। उनका कहना है कि अरावली से छेड़छाड़ का सीधा असर पर्यावरण, भूजल स्तर और कृषि पर पड़ेगा।

