केंद्र सरकार ने अग्निवीर योजना के तहत सेवा दे चुके युवाओं को बड़ा भरोसा दिया है। सीमा सुरक्षा बल (BSF) में अब पूर्व अग्निवीरों के लिए कांस्टेबल भर्ती में आरक्षण को 10 फीसदी से बढ़ाकर 50 फीसदी कर दिया गया है। इसके लिए सरकार ने लगभग दस साल पुराने भर्ती नियमों में संशोधन किया है, जिससे हजारों अग्निवीरों के लिए आगे रोजगार के नए रास्ते खुलेंगे।
2015 के भर्ती नियमों में बड़ा बदलाव
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सीमा सुरक्षा बल, जनरल ड्यूटी कैडर (गैर-राजपत्रित) भर्ती नियम 2015 में संशोधन की अधिसूचना जारी की है। इसके तहत अब हर भर्ती वर्ष में सीधी भर्ती के माध्यम से उपलब्ध रिक्तियों में से आधी सीटें पूर्व अग्निवीरों के लिए आरक्षित रहेंगी। पहले यह आरक्षण केवल 10 प्रतिशत था।
आयु सीमा और शारीरिक परीक्षा में भी छूट
सरकार ने पूर्व अग्निवीरों को आयु सीमा में भी राहत दी है। पहले बैच के अग्निवीरों को अधिकतम आयु सीमा में पांच वर्ष की छूट मिलेगी, जबकि अन्य पूर्व अग्निवीरों को तीन वर्ष तक की छूट दी जाएगी। इसके अलावा शारीरिक मानक परीक्षण और शारीरिक दक्षता परीक्षण में भी आवश्यक छूट का प्रावधान किया गया है।
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भर्ती प्रक्रिया दो चरणों में होगी
नई व्यवस्था के अनुसार, पहले चरण में नोडल फोर्स द्वारा पूर्व अग्निवीरों के लिए आरक्षित 50 प्रतिशत रिक्तियों पर भर्ती की जाएगी। दूसरे चरण में शेष 47 प्रतिशत पदों पर कर्मचारी चयन आयोग के माध्यम से भर्ती होगी, जिसमें 10 प्रतिशत कोटा पूर्व सैनिकों के लिए पहले से आरक्षित रहेगा। यदि पहले चरण में किसी श्रेणी की सीटें खाली रहती हैं, तो उन्हें विशेष प्रक्रिया के तहत भरा जाएगा।
अग्निवीर योजना को लेकर सरकार का संदेश
अग्निवीर योजना वर्ष 2022 में युवाओं को सशस्त्र बलों से जोड़ने और सेना को अधिक युवा व सक्षम बनाने के उद्देश्य से शुरू की गई थी। हालांकि योजना के बाद से स्थायी नौकरी को लेकर सवाल उठते रहे हैं। विपक्ष द्वारा लगातार उठाए जा रहे इन मुद्दों के बीच सरकार का यह फैसला संकेत देता है कि अग्निवीरों के भविष्य को सुरक्षित करने की दिशा में ठोस कदम उठाए जा रहे हैं।
जून में भी किया गया था अहम संशोधन
इससे पहले जून महीने में केंद्र सरकार ने भारत सरकार (कार्य आवंटन) नियम, 1961 में संशोधन किया था। इसके तहत केंद्रीय गृह मंत्रालय को यह जिम्मेदारी दी गई कि चार साल की सेवा के बाद सशस्त्र बलों से सेवामुक्त होने वाले अग्निवीरों के पुनर्वास और आगे की प्रगति से जुड़ी गतिविधियों का समन्वय किया जाए।


